लेखन कला का विकास इन हिंदी फुल एक्सप्लेनेशन फुल
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लेखन का इतिहास हमें दिखाता है कि भाषा किस तरह से अक्षरों या अन्य चिह्नों द्वारा लिखी गयी और लिपियों के विकास को समझने की कोशिश करता है।
रानी महामाया के स्वप्न का अर्थ या तात्पर्य निकालते हुए पण्डित
विभिन्न मानव सभ्यताओं में लेखन प्रणालीयों का विकास हुआ है, परन्तु इन प्रणालीयों के पहले आध्यलिपियों का उपयोग हुआ, जिनमें वैचारिक या स्मृति-सहायक चिन्हों काम आते थे। सच्चे लेखन, जिसमें भाषिक उच्चारण को इस तरह कूट बना सकते ताकी पढ़ने वाला लिखित शब्द से काफी हद तक भाषिक उच्चारण बना सके, बादमें बना। सच्चे लेखन आध्यलिपि से अलग है। आध्यलिपि अधिकतर व्याकरणिक शब्दों और प्रत्ययों को कूटित नहीं करती है, जिस वजय से लेखक के मतलब को समझना कठिन या असंभव हो जाता है। क्यूनिफॉर्म लिपि दुनिया की सबसे पहली लिपियों में से एक है।
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