Hindi, asked by gkalaiyarasi, 4 months ago

लाला झाऊलाल तिलमिला उठे। उन्होंने रोब के साथ कहा-".
ढाई सौ रुपये के लिए भाई से भीख माँगोगी, मुझसे ले लेना।"
"सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?"
लाला झाऊलाल ने रोब के साथ खड़े होते हुए कहा-" आज से
लेकिन जब चार दिन ज्यों-त्यों में यों ही बीत गए और रुपयों का
प्रबंध न हो सका तब उन्हें चिंता होने लगी। प्रश्न अपनी प्रतिष्ठा का
अपने ही घर में अपनी साख का था। देने का पक्का वादा करके अगर ।
दे न सके तो अपने मन में वह क्या सोचेगी? उसकी नज़रों में उसका के
मूल्य रह जाएगा? अपनी वाहवाही की सैकड़ों गाथाएं सुना चुके थे। अब
एक काम पड़ा तो चारों खाने चित हो रहे। यह पहली बार उसने मुँह खोला
रुपयों का सवाल किया था। इस समय अगर दुम दबाकर निकल मान
खैर, एक दिन और बीता। पाँचवें दिन घबराकर उन्होंने पं. बिलवासी मिल
को अपनी विपदा सुनाई। संयोग कुछ ऐसा बिगड़ा था कि बिलवासी जी
वसंत भाग 3
84

'लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।"
"अजी इसी सप्ताह में ले लेना।"
दिन मुझसे ढाई सौ रुपये ले लेना।"
कुछ
हैं तो फिर उसे क्या मुँह दिखलाएँगे?
उस समय बिलकुल खुक्ख थे। उन्होंने कहा-“मेरे पास हैं तो नहीं पर
से माँग-जाँचकर लाने की कोशिश करूँगा और अगर मिल गया तो कर
को तुमसे मकान पर मिलूँगा।"
वही शाम आज थी। हफ़्ते का अंतिम दिन। कल ढाई सौ रुपये
गिन देना है या सारी हेकड़ी से हाथ धोना है। यह सच है कि कर
न आने पर उनकी स्त्री उन्हें डामलफाँसी न कर देगी-केवल जरा
देगी। पर वह कैसी हँसी होगी, कल्पना मात्र से झाऊलाल में मरो
जाती थी।
आज शाम को पं. बिलवासी मिश्र को आना था। यदि न अ
कहीं रुपये का प्रबंध वे न कर सके?​

Answers

Answered by vermasangeeta006
2

Answer:

ये तो spectrum Hi Academy ki 8 class ka chapter hai na..??

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