लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल लाली देखन में गयी में भी हो गयी लाल. रस भेद बताए व्याख्या के साथ। Free brainlist.
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लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल लाली देखन में गयी में भी हो गयी लाल.
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यह एक कबीर जी का दोहा है |
इस दोहे में रस अदभुत रस है।
अदभुत रस में जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो डर आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है और आश्चर्यजनक बातों का वर्णन किया जाता है |
जैसे आँख का फडफडाना, आंसू आना, कंपना होना, ज्यादा तर्क करना,वस्तु,घटना, किसी को घुरना आदि |
इस दोहे का अर्थ है मुझे हर जगह ईश्वरीय ज्योति दिखती है- अंदर, बाहर, हर जगह. लगातार ऐसी देवी ज्योति देखते देखते, मैं भी ईश्वरीय हो गई हूँ |
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