Hindi, asked by riktamajhi4157, 3 months ago

लालची आदमी और दौडने उतने की कहने

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Answered by Anonymous
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सुप्रसिद्ध साहित्यकार, संपादक और बच्चों के प्रिय लेखक प्रकाश मनु ने कई दशकों में फैली लेखन यात्रा के बीच ढेरों काम किए और साहित्य जगत को समृद्ध किया. उनके लेखन में संस्मरण, शोध, साक्षात्कार, कथा, कविता, लेख आदि शामिल हैं. हिंदी के इस सुप्रसिद्ध साहित्यकार और बच्चों के प्रिय लेखक प्रकाश मनु का जीवन कई तरह के झंझावातों, ऊबड़-खाबड़ रास्तों और पगडंडियों से गुजरा है. उन धूल भरे रास्तों से गुजरते हुए उन्होंने जीवन के मर्म को समझा है, तो साथ ही भारतीयता, भारतीय संस्कृति और परंपराओं के मूल उत्स को भी, जिसने उन्हें भीतर से निमज्जित किया और धीरे-धीरे वे लेखक होने की राह पर बढ़े.'मेरी आत्मकथा: रास्ते और पगडंडियाँ' प्रकाश मनु की आत्मकथा का पहला खंड है, जिसमें उनके बचपन, किशोरावस्था और तरुणाई की जोश-खरोश भरी हलचलों का जिक्र है. उन्होंने बड़ी गहन संवेदना के साथ एक ओर अपने शैशव की अबोधता और आत्मलीनता को देखा है, तो दूसरी ओर एक-एक कदम आगे बढ़ाते बचपन को, जिसके साथ अनगिनत किस्से-कहानियाँ और स्मृतियों के न जाने कितने धागे लिपटे हुए हैं. पर इसके साथ ही उन्होंने माँ, पिता, भाई-बहन, उस दौर के मित्रों, अपने प्रिय अध्यापकों और अन्य आत्मीय जनों को भी बड़े प्रेम से याद किया है, जिनकी छल-छल करती स्मृतियाँ इस पूरी आत्मकथा में बिखरी हैं.

जाहिर है, प्रकाश मनु अपनी आत्मकथा में अकेले नहीं हैं, बल्कि इसमें उनके जीवन का पूरा प्रवाह है, समय है, परंपराएँ हैं और उनके बीच अनायास ही बहुत कुछ नया भी निर्मित हो रहा है. इस तरह 'मेरी आत्मकथा: रास्ते और पगडंडियाँ' प्रकाश मनु के साथ-साथ उनके समय की भी कथा है. हो सकता है, इस आत्मकथा में बहुत बड़ी घटनाएँ न हों, पर बारीक संवेदना और स्मृतियों के धागे पूरी आत्मकथा में बिखरे हैं.

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Answered by ujjwalkb2005
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Answer:

, This answer is correct.

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