| लालच का फल बुरा होता है | इस विषय पर आपने विचार ४० से ५० शब्दों
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एक साल पहले एक गांव में एक किसान रहा करता था। वह किसी. तरह किसानी से अपना जीवन गुजार रहा था। उसकी पत्नी और बच्चे भी उसी की कमाई पर निर्भर थे। किसान मंडी में कभी – कभी थोड़ा अनाज बेच आता था। एक दिन एक गरीब आदमी किसान के यहां आया और बोला – ‘मेरे घर के लोग बहुत भूखे हैं। मैं तुमसे चावल का एक बोरा चाहता हूँ परन्तु बदले में देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं। हां, अगर तुम मेरी इस मुर्गी के बदले चावल दे सको तो बड़ी मेहरबानी होगी?”
किसान गरीब तो था, पर दयालु भी था। वह भूख और गरीबी के मर्म को समझता था, इसलिए उसने मुर्गी के बदले चावल का सौदा कर लिया। इधर वह आदमी चावल का बोरा लादे उसे दुआएं देता चला गया, पर उधर किसान की पत्नी ने अपने पति को इस सौदे के लिए खूब खरी – खोटी सुना डाली।
कुछ समय बीतने के बाद किसान की पत्नी ने उस मुर्गी को एक दिन ‘सोने का अंडा’ देते देखा, तो उसकी आंखें फटी रह गई। ऐसा तो कभी होते नहीं सुना। उसने झट से सोने का अंडा उठाकर रख लिया और दौड़कर किसान को इस चमत्कार के बारे में बताया। यह जानकर किसान भी खुश हुआ। उसने वह अंडा शहर जाकर बेचा तो खूब धन मिला।
अब मुर्गी रोज सोने का एक अंडा देती और किसान उसे शहर जाकर बेच आता। उनके दिन फिरने लगे। कभी वे अन्न बेचकर कंगाल थे, पर अब सोने का अंडा उन्हें मालामाल कर रहा था। किसान जल्दी ही धनपति हो गया। एक दिन किसान की पत्नी बौखलाई – ‘यह मुर्गी बहुत ही आलसी है। यह रोज एक ही अंडा देती है, जबकि इसके पेट में तो कई अंडे हो सकते हैं? क्या तुम इससे और अंडे नहीं निकलवा सकते?’ ‘नहीं’ किसान ने कहा – ‘यह नामुमकिन है। हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। भगवान की कृपा से जो मिल रहा है उसमें खुश रहना चाहिए।’
किसान की पत्नी का स्वभाव कुछ अलग था। वह बड़ी जिद्दी थी। एक दिन जब किसान घर पर नहीं था, तभी उसने छुरी उठाकर मुर्गी का पेट चीर दिया। मुर्गी खून से लथपथ होकर तड़प रही थी। किसान की पत्नी को उसके पेट में जब एक भी अंडा नहीं दिखा, तो वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गई। थोड़ी देर में मुर्गी शांत हो गई, अब उन्हें कभी भी सोने के अंडे नहीं मिल सकते थे। आखिर लालच का फल बुरा जो होता है।
किसान गरीब तो था, पर दयालु भी था। वह भूख और गरीबी के मर्म को समझता था, इसलिए उसने मुर्गी के बदले चावल का सौदा कर लिया। इधर वह आदमी चावल का बोरा लादे उसे दुआएं देता चला गया, पर उधर किसान की पत्नी ने अपने पति को इस सौदे के लिए खूब खरी – खोटी सुना डाली।
कुछ समय बीतने के बाद किसान की पत्नी ने उस मुर्गी को एक दिन ‘सोने का अंडा’ देते देखा, तो उसकी आंखें फटी रह गई। ऐसा तो कभी होते नहीं सुना। उसने झट से सोने का अंडा उठाकर रख लिया और दौड़कर किसान को इस चमत्कार के बारे में बताया। यह जानकर किसान भी खुश हुआ। उसने वह अंडा शहर जाकर बेचा तो खूब धन मिला।
अब मुर्गी रोज सोने का एक अंडा देती और किसान उसे शहर जाकर बेच आता। उनके दिन फिरने लगे। कभी वे अन्न बेचकर कंगाल थे, पर अब सोने का अंडा उन्हें मालामाल कर रहा था। किसान जल्दी ही धनपति हो गया। एक दिन किसान की पत्नी बौखलाई – ‘यह मुर्गी बहुत ही आलसी है। यह रोज एक ही अंडा देती है, जबकि इसके पेट में तो कई अंडे हो सकते हैं? क्या तुम इससे और अंडे नहीं निकलवा सकते?’ ‘नहीं’ किसान ने कहा – ‘यह नामुमकिन है। हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। भगवान की कृपा से जो मिल रहा है उसमें खुश रहना चाहिए।’
किसान की पत्नी का स्वभाव कुछ अलग था। वह बड़ी जिद्दी थी। एक दिन जब किसान घर पर नहीं था, तभी उसने छुरी उठाकर मुर्गी का पेट चीर दिया। मुर्गी खून से लथपथ होकर तड़प रही थी। किसान की पत्नी को उसके पेट में जब एक भी अंडा नहीं दिखा, तो वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गई। थोड़ी देर में मुर्गी शांत हो गई, अब उन्हें कभी भी सोने के अंडे नहीं मिल सकते थे। आखिर लालच का फल बुरा जो होता है।
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