लुप्त हुए बचपन के खेलों पर चिंता जाहिर करते हुए दो सहेलियों या मित्रों के मध्य से लगभग 60 शब्दों में एक संवाद लिखिए
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पिंकी- अरे मिंकी बहुत दिनों बाद भेट हो रही है, कैसी हो।
मिंकी- बहुत अच्छी हूं पिंकी, तुम बताओ कैसी हो, बहुत दिनों बाद हम दोनों की मुलाकात हो रही है।
पिंकी- अरे हां यार, पहले हम सभी एक साथ खेलने के लिए रोजाना इकट्ठे होते थे पर अब तो उन खेलों का अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा है।
मिंकी- हां, तुमने बिल्कुल सही कहा, पहले ऐसे कई खेले थीं, जो हम सभी को रोजाना एक साथ मिलाती ही थीं
पर अब उन खेलों का चलन धीरे-धीरे बंद होते जा रहा है और इसका बुरा असर हमारे जीवन और आने वाले बच्चों के जीवन पर साफ नजर आ रहा है।
पिंकी- हां, यही बात मुझे हमेशा परेशान करती है कि हमारी सभी बचपन की खेलें, जो हर बच्चे के बचपन का शोभा होती है, वह धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है और हम इसे देख रहे हैं। हमें भी अपने स्तर से इन सभी खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए।
मिंकी- वो कैसे पिंकी
पिंकी- हमें एक संगठन का निर्माण करना चाहिए, जो इन सब खेलो को पुनर्जीवित करने के लिए काम करें और ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसमें शामिल करके उन्हें इन सब खेलों में रुचि लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
मिंकी- अरे यह तो बहुत ही अच्छा कदम होगा, हमें तुरंत इस पर काम शुरू कर देना चाहिए।
पिंकी- बिल्कुल, मैं 1 सप्ताह बाद इसका पूरा ब्लूप्रिंट तैयार करने के बाद तुमसे फिर मुलाकात करूंगी और इस पर दोनों विस्तृत चर्चा करने के बाद फिर आगे की प्लान बनाएंगे।
लुप्त हुए बचपन के खेलों पर चिंता जाहिर करते हुए दो सहेलियों या मित्रों के मध्य से लगभग 60 शब्दों में एक संवाद
सहेली 1: सुमन तुम्हें याद हम बचपन में तरह-तरह के खेल खेला करते थे|
सहेली 2: याद है रूचि , हम कितना मज़ा करते थे|
सहेली 1: मुझे अपने बचपन के खेलो की बहुत याद आती है |
सहेली 2: तुम्हें याद वह आंख-मिचौली ,छुपन-छुपाई का ,घर-घर खेलना आदि सब खेलने में बहुत मज़ा आता था|
सहेली 1: आज के समय में देखती हूँ तो यह सब खेल लुप्त हो गए है , हमारे बच्चों को तो इन खेलों के बारे में पता भी नहीं है|
सहेली 2: सही कह रही हो मेरे बच्चे तो बस मोबाइल और कंप्यूटर में खेलते है उन्हें इन खेलों के बारे में कुछ नहीं पता|
सहेली 1: मेरे बच्चे भी मोबाइल में सारा दिन गेम्स खेलते रहते है| बाहर के खेलों में इन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है|
सहेली 2: मुझे अपना बचपन याद है धुल -मिट्टी में खेलना और गिरना चोट लगना और रोते घर-घर जाना मुझे वह दिन बड़े आते है|
सहेली 1: सच्च में पहले का समय अच्छा था पर अब तो सब बदल गया है|
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