(l) पपास
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खंड-'क' : (अपठित बोध)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए : 5
जिह्वा सभी को मिली है, किन्तु उचित बोलना बहुत कम लोग जानते हैं। प्रायः लोग कड़वी बातों में दूसरे की व्यर्थ निंदा-स्तुति
में वाणी की सार्थकता समझते हैं। उन दिव्य पुरुषों की संख्या अँगुलियों पर ही गिनी जा सकती है जिनकी जिह्वा में अमृतोपय मधुरता
एवं हिम की सी शीतलता रहती है। ऐसे लोगों की वाणी से निराश जीवन को उत्साह मिलता है। नरक की यंत्रणा में छटपटाने वाले
को धैर्य और आश्वासन मिलता है। व्यक्तित्व का परिचय देने में वाणी प्रथम है, क्योंकि अन्य गुण तो साथ रहने पर धीरे-धीरे प्रकट
होते हैं पर वाणी की गरिमा तत्काल प्रकट होती है। इसके द्वारा सर्वथा अपरिचित को भी, थोड़े वार्तालाप में ही स्नेह और
सहानुभूति
के
में बाँधा जा सकता है। दिव्य वाणी बोलने वाले के लिए संसार में चारों तरफ अमीर गरीब परिचित-अपरिचित सबके द्वार स्वागत
के लिए खुले रहते हैं। उनके मान में लोग पलक पाँवड़े बिछा देते हैं। ऐसा सम्मान छत्रधारी सम्राट होने पर भी शासन ही कोई पा
सूत्र
सकता है।
(i) जिह्वा सभी को मिली है किन्तु उचित बोलना :
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जिह्वा सभी को मिली है किन्तु उसका उचित रूप से कोई प्रयोग नहीं करता है। सब हर किसी कि बुराई करते हैं।
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