लोट्लकार और विधिलिंग में अंतर
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●लोट लकार(आज्ञार्थक वृत्ति) और विधिलिंग(सम्भावनार्थक वृत्ति) का प्रयोग कभी कभी एक दुसरे के स्थान पर होता है | इन दोनों का प्रयोग इच्छा, आशीर्वाद या परामर्श की अभिव्यक्ति के लिए हो सकता है |
●परन्तु लोट का प्रयोग अधिकांशतः आज्ञा देने के लिए और विधिलिंग का प्रयोग प्रायः आशीर्वाद और इच्छा जताने के लिए होता है |
hp780:
nice ans
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here is the ans of your question....
lotlakar me kisi ko agya dene wale sabd hote h
eg gacchtu - jao
jabki vidhiling lakar ka arth h - chahiye arth me (krna chahiye)
eg gacchet - jana chahiye
hope this will help you
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