ले देती यदि मुझे बाँसुरी तुम दो पैसे वाली,
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता,
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता।
वहीं बैठ फिर बड़े मज़े से मैं बाँसुरी बजाता,
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हें बुलाता।
bhavarth pls same chapter
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