-लावण्य भार थर-थर काँपा कोमलता पर
सस्वर ज्यों मालकोश नव वीणा पर main kon sa aalikar h
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atishokti alankaar
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यह वाक्य हिंदी साहित्य का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो सुन्दरता और भावों को बखूबी दर्शाता है। इस वाक्य में दो अलंकार हैं।
पहला अलंकार "लक्षणार्थ अलंकार" है, जो लावण्य और भार शब्दों के संयोग से बनता है। यह उन शब्दों को एक साथ जोड़कर एक तस्वीर बनाता है जो सुंदरता और वजन का अनुभव कराता है। इस अलंकार से यह समझ में आता है कि वाक्य के इस भाग में कोई भारी वस्तु या भाव है जो कोमलता पर अपना असर डाल रहा है।
दूसरा अलंकार "समास" है, जो "मालकोश नव वीणा" शब्दों के संयोग से बनता है। यह शब्द समास भाषा का एक प्रमुख अंग है, जो दो या दो से अधिक शब्दों को एकत्र करके एक नए शब्द का जन्म देता है। यहाँ, नव वीणा का उल्लेख है, जो संगीत का प्रतीक होती है। संगीत में वीणा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसकी ध्वनि को मानो स्वर-माला के समान वर्णन किया गया है। इससे वाक्य को एक अधिक सुंदर और छंद से
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