ल्यप् प्रत्यय प्रयोग सोदाहरण लिखिए।
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धातु या शब्द के पीछे जुड़ने वाले अंश को प्रत्यय कहते हैं। धातु के बाद जुड़ने वाले प्रत्यय को कृत् तथा संज्ञा, विशेषण, क्रिया, अव्यय के पीछे जुड़नेवाले अंश को तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
(i) कृत्-प्रत्यय –
इसमें क्त, क्तवतु, क्त्वा, ल्यप् , तुमुन्, शतृ, शानच्, क्तिन्, तव्यत्, अनीयर् आदि प्रत्यय आते हैं।
1. क्त प्रत्यय – यह भूतकालिक कृत् प्रत्यय है। अधिकतर कर्मवाच्य में प्रयुक्त होता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 1
2. क्तवतु- यह भी भूतकालिक कृत् प्रत्यय है। अधिकतर कर्तृवाच्य में प्रयुक्त होता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 2
3. क्त्वा- वाक्य में दो क्रियाओं के होने पर जो पहले समाप्त होती है उस क्रिया को बतानेवाली धातु से ‘क्त्वा’ प्रत्यय (त्वा) लगता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 3
4. ल्यप् – धातु से पूर्व उपसर्ग होने पर धातु के बाद ‘ल्यप् ‘ (य) का प्रयोग होता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 4
5. अनीयर् – ‘विधिलिङ् लकार’ के अर्थ में विधि कृदन्त अर्थात् तव्यत्, अनीयर् का प्रयोग होता है। ‘अनीयर् का ‘अनीय’ शेष रहता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 5
6. तव्यत् – ‘विधिलिङ् लकार’ के अर्थ में विधि कृदन्त अर्थात् तव्यत्, अनीयर् का प्रयोग होता है। ‘तव्यत्’ का ‘तव्य’ शेष रहता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 6
7. तुमुन्- जिस क्रिया के लिए कोई अन्य क्रिया की जाती है उसकी धातु से भविष्यत् काल के अर्थ को प्रकट करने के लिए ‘तुमुन्’ का प्रयोग होता है। ‘तुम’ का ‘तुम्’ शेष रह जाता है।
उदाहरण –
CBSE Class 12 Sanskrit व्याकरणम् प्रकृति-प्रत्यय-विभाग 7
8. क्तिन् प्रत्यय – स्त्रीलिङ्ग में भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए धातु के साथ ‘क्तिन्’ प्रत्यय लगता है। ‘क्तिन्’ का ‘तिः’ शेष रहता है।
उदाहरण –
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9. शतृ प्रत्यय – परस्मैपदी धातुओं से ‘शतृ’ का अपूर्णकाल में प्रयोग होता है। ‘शतृ का’ ‘अत्’ शेष रह जाता है। पुं० में ‘त्’ को ‘न्’ हो जाता है।
उदाहरण –
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10. शानच् प्रत्यय – आत्मनेपद की धातुओं के साथ ‘शतृ’ (अत्/अन्) के स्थान पर ‘शान’ (आन, मान) प्रत्यय लगता है।
उदाहरण –
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(ii) तद्धित प्रत्यय