Hindi, asked by anshitasagheer, 1 year ago

labhpap ko mul hai . lobh mitvat maan

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Answered by SAVIVERMA159
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लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान।

इस वाक्य से कवि यह कहना चाहता है कि लोभ पाप का मूल है अर्थात लोभ ही पाप का मुख्य कारण है। इसी से व्यक्ति के मन में बुरे कार्य करने की चेष्टा उत्पन होती है और वह न करने योग्य कार्य भी करता है।

लोभ मिटावत मान अर्थात लोभ में आके मनुष्य बुरे कार्य में लिप्त हो करअपना मान तक भी खो देता है। इसलिये मनुष्य को अपने जीवन में कभी लोभ नहीं करना चाहिए।
Answered by rathorpankaj179
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Answer:

लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान।

लोभ कभी नहीं कीजिए, यामै नरक निदान।।

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