Economy, asked by priyankayadav52311, 6 months ago

lagan ke adhunik sidhant ki vayakhya kre​

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Answered by Khushi8958
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रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की व्याख्या एक नए-नए आबाद देश के उदाहरण की सहायता से की जा सकती है। एक नए देश में आरम्भ में जनसंख्या बहुत कम होती है इसलिए सब प्रकार की भूमि की पूर्ति उसकी माँग से अधिक होती है। भूमि प्रकृति का नि:शुल्क साधन है अतएव लोगों को भूमि मुफ्त में मिल जाती है। भूमि की उर्वरता में अन्तर होने के कारण वे सबसे पहले अच्छी श्रेणी के भूमि पर खेती करेंगे। A श्रेणी की भूमि की पूर्ति की माँग से अधिक है। इसलिए उर्वरता में अन्तर होने पर भी इस भूमि के लिए कोई लगान नहीं देना पड़ेगा। अतएव केवल उर्वरता के अन्तर के कारण उत्पन्न नहीं होता है। जब धीरे-धीरे देश की जनसंख्या बढ़ने के कारण भूमि की माँग बढ़ेगी तो सबसे अच्छी A श्रेणी की भूमि सीमित होने के कारण इस भूमि की माँग, पूर्ति से अधिक हो जाएगी। लोगों को A श्रेणी से घटिया B श्रेणी की भूमि पर खेती करनी पड़ेगी। मान लीजिए A श्रेणी की एक हैक्टेयर भूमि पर 5 श्रमिक लगाने से 10 क्विंटल अनाज पैदा होता है तथा B श्रेणी की एक हैक्टेयर भूमि पर 5 श्रमिक लगाने से 5 क्विंटल अनाज उत्पन्न होता है तो A श्रेणी के भूस्वामियों को उसी लागत पर 5 क्विंटल अनाज अधिक प्राप्त होगा, जो लगान (Rent) कहलाएगा। यह लगान भूमि की दुर्लभता के कारण घटिया किस्म की भूमि पर उत्पादन करने से उत्पन्न हुआ है। यदि मान लीलिए सब भूमि एक समान है अर्थात् भूमि की उर्वरता में कोई अन्तर नहीं पाया जाता तो भी जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जाएगी भूमि की माँग बढ़ेगी परन्तु पूर्ति स्थिर रहेगी। भूमि की पूर्ति के माँग से कम होने के कारण जो लोग भूमि प्राप्त करना चाहते हैं वे भूमि के लिए कुछ भुगतान करने को तैयार हो जाएँगे। इस भुगतान को लगान कहा जाएगा। अतएवं यदि सब भूमि एक समान है अर्थात् उसकी उर्वरता में कोई अन्तर नहीं है, तो भी भूमि की दुर्लभता के कारण लगान उत्पन्न होगा। संक्षेप में, लगान भूमि की दुर्लभता के कारण उत्पन्न होता है। भूमि की उर्वरता का अन्तर तो केवल लगान की रकम तथा उसमें पाई जाने वाली विभिन्नता का माप है।

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