lakh ki chudiyan ke summary
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इस पाठ के द्वारा लेखक लघु उद्योग की ओर पाठको का ध्यान करवा रहे है। वे कहते हैं कि बदलते समय का प्रभाव हर वस्तु पर पड़ता है। बदलू व्यवसाय से मनिहार है। वह अत्यंत आकर्षक चूड़ियाँ बनाता है। गाँव की स्त्रियाँ उसी की बनाई चूड़ियाँ पहनती हैं। बदलू को काँच की चूड़ियों से बहुत चिढ़ है। वह काँच की चूड़ियों की बड़ाई भी नहीं सुन सकता तथा कभी-कभी तो दो बातें सुनाने से भी नहीं चूकता ।
शहर और गाँव की औरतों की तुलना करते हुए वह कहता है कि शहर की औरतों की कलाई बहुत नाजुक होती है। इसलिए वह लाख की चूड़ियाँ नहीं पहनती है। लेखक अकसर गाँव जाता है तो बदलू काका से जरूर मिलता है क्योकि वह उसे लाख की गोलियां बनाकर देता है। परन्तु अपने पिता जी की बदली हो जाने की वजह से इस बार वह काफी दिनों बाद गाँव आता है।
वह वहां औरतों को काँच की चूड़ियाँ पहने देखता है तो उसे लाख की चूड़ियों की याद हो आती है वह बदलू से मिलने उसके घर जाता है।बातचीत के दौरान बदलू उसे बताता है कि लाख की चूड़ियों का व्यवसाय मशीनी युग आने के कारण बंद हो गया है और काँच की चूड़ियों का प्रचलन बढ़ गया है।
इस पाठ के द्वारा लेखक ने बदलू के स्वभाव, उसके सीधेपन और विनम्रता को दर्शाया है। मशीनी युग से आये परिवर्तन से लघु उद्योग की हानि परप्रकाश डाला है। अंत में लेखक यह भी मानता है कि काँच की चूड़ियों के आने से व्यवसाय में बहुत हानि हुई हो किन्तु बदलू का व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों की तरह नाजुक नहीं था जो सरलता से टूट जाए।