Lakhnavi Andaj summary fur class 10.
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यह पाठ लखनवी अंदाज यशपाल जी की एक अद्भुत व्यंग्य रचना है यह कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में निर्धारित है इस रचना में उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि बिना पात्र की कहानी नहीं लिखी जा सकती और इस पर व्यंग्य किया है इसका सारांश है एक बार लेखक ट्रेन से जाने का विचार करते हैं और वह दूसरे दर्जे के डिब्बे में चढ़ जाते हैं वहां वहां पर उन्हें एक लखनऊ के नवाब मिलते हैं जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वह लेकर आने से खुश नहीं है और वह लेखक से पूछते हैं क्या वह खीरे खाएंगे तो लेखक मना कर देता है क्योंकि लेकर सोचता है कि हमारा स्वाभिमान बहुत बड़ा है तो वह उनकी क्रिया जिससे वह खीरे को खाते हैं वह नैरेटर यानी लेखक बताता है पहले वह इत्मीनान से खीरे को धोते हैं फिर तौलिए पर रखते हैं फिर छोटी-छोटी बातें करते हैं फिर उसको ख्वाबों में काटते हैं फिर उस पर नमक और जीरा लगाते हैं और उसके बाद सिर्फ सुनकर उसको रेलगाड़ी के बाहर फेंक देते हैं लेखक को बड़ा आश्चर्य होता है लेकिन उसके बाद वह नवाब कहते हैं खीरा बड़ा मैदा पर प्रभाव डाल रहा है इसके बाद लेखक को बड़ा आश्चर्य होता है कि कि सिर्फ सुगने मात्र से किसी का पेट भर सकता है तो बिना पात्र की कहानी क्यों नहीं लिखी जा सकती यही है सारांश
यह सारांश विकास शर्मा द्वारा रचित है धन्यवाद
यह सारांश विकास शर्मा द्वारा रचित है धन्यवाद
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