Hindi, asked by Gamakshi5185, 1 year ago

larkiyo ki sankhaya ghatne par bharat ka bhabisya

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Answered by me777
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Is srushti me jaanwar ke alava manushy nahi dikhayi dega agar larkiyon ki sankhya ghat jate hi to
Answered by rajkumarprasad7599
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राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर विभिन्न महिला संगठनों ने भारत में बच्चियों की सुरक्षा के लिए मिलकर प्रयास करने का आग्रह किया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जसे देश के संपन्न राज्यों में लड़कियों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए संगठनों ने कहा कि इससे समाज में गंभीर असंतुलन पैदा हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के 2007 के सव्रेक्षण के अनुसार भारत में प्रतिदिन 2,000 अजन्मी बच्चियां गैर-कानूनी ढंग से मार दी जाती हैं। मुंबई के लोगों में लड़कियों के मुकाबले लड़कों की चाह ज्यादा है। 2001 में महाराष्ट्र में प्रति 1,000 लड़कों के मुकाबले कुल लड़कियां थीं जबकि बिहार में पश्चिम बंगाल में और छत्तीसगढ़ में लड़कियां थीं।ड्ढr कुछ राज्यों में तो लड़कियों की संख्या 00 से भी कम है। वूमन पावर कनेक्ट की अध्यक्ष डा. रांना कुमारी ने कहा कि अभी तक कन्या भ्रूण हत्या का मुद्दा महिला सशक्तीकरण से जुड़े संगठनों के लिए ही महत्वपूर्ण रहा है। अब सरकार और समाज सबको एक साथ मिलकर इस ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह केवल लड़कियों की संख्या कम होने का ही नहीं, मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी सवाल है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की समस्या से निपटने के लिए सबसे बड़ी जरूरत समाज की सोच बदलने की है। समस्या से निपटने के लिए बालिकाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वाले लोगों के दल बनाए जाने चाहिए। केवल कुछ लोगों के प्रयास से कन्या भ्रूण हत्या को नहीं रोका जा सकता। चिकित्सा समुदाय को खुलकर इसका विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो डाक्टर पैसे के लालच में गर्भ में ही कन्यायों को मार रहे हैं,डाक्टरों और स्त्री-रोग विशेषज्ञों के संगठनों को उनका बहिष्कार करना चाहिए।

Balika padhao aur desh badhao

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