Hindi, asked by mdazadaunsi, 7 hours ago

लडास (iii) “पवन की प्राचीर में रुक, जला जीवन जा रहा झुक, इस झुलसते विश्व-वन की मैं कुसुम ऋतु रात रे मन ।​

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Answered by shishir303
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पवन की प्राचीर में रुक, जला जीवन जा रहा झुक,

इस झुलसते विश्व-वन की मैं कुसुम ऋतु रात रे मन।

व्याख्या : कवि जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य ‘कामायानी’ में ‘तुमुल कोलाहल कलह’ इस गीत की इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि श्रद्धा कहती है कि सारा संसार वन युद्ध में लगी जंगल की आग से झलक रहा है और मानव जीवन उस जंगल की आग में बुरी तरह फंसा हुआ है। उस आग की गर्मी से मानव जीवन बेहाल हुआ जा रहा है। श्रद्धा कहती है कि मैं झूलते हुए इस विश्व के लिए बसंत ऋतु की शीतलता लेकर आती हूँ, ताकि उस शीतलता की बौछार से प्राणियों को नया जीवन दे सकूं।

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