Hindi, asked by ks20058888, 9 months ago

Lekhak ne khire ko apadarth vastu kyu kha

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Answered by akanshaagrwal23
4

Answer:

लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि उसे खीरे में कोई स्वाद नहीं लगा होगा।

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Class 10 Hindi Ch – 12 Test Paper

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Chapter wise Questions and Answer for Class 10 Hindi

यशपाल (लखनवी अंदाज़)

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़िए और नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। …. अकेले सफर का वक्त काटने के लिये ही खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफ़ेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ?

हम कनखियों से नवाब साहब की ओर देख रहे थे। नवाब साहब कुछ देर गाड़ी की खिड़की से बाहर देखकर स्थिति पर गौर करते रहे।

‘ओह’, नवाब साहब ने सहसा हमें संबोधित किया, ‘आदाब-अर्ज़, जनाब, खीरे का शौक फरमाएँगे?

सहसा नवाब साहब ने लेखक से क्या कहा और उनके इस कथन में आप उनके किस भाव का अनुभव करते हैं?

गद्यांश में वर्णित लेखक के स्वभाव की विशेषता का उल्लेख कीजिये। उसके अनुसार नवाब साहब ने खीरे क्यों खरीदे होंगे?

लेखक-अपनी आदत के अनुसार नवाब साहब के विषय में क्या सोचने लगा?

‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइये कि लेखक ने यात्रा करने के लिये सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?

नवाब साहब खीरे को बाहर फेंककर गर्व से क्यों भर उठे? लखनवी अंदाज़ पाठ के आधार पर बताइए।

‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की क्या धारणा थी?

‘लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य किस सामाजिक वर्ग पर कटाक्ष करता है?

‘नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए’-इस पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

यशपाल (लखनवी अंदाज़)

Answer

नवाब साहब ने लेखक को आदाब-अर्ज़ कर खीरा खाने के लिये कहा। इस कथन से नवाब साहब की शराफत और तहज़ीब का पता चलता हैं। वे चीजें बांट कर खाने की आदत भी रखते हैं।

लेखक एक कल्पनाशील व विचारवान व्यक्ति है। वे बिना विचार के कहानी लिखने में माहिर हैं। वह अनुमान लगाता है कि नवाब साहब खीरे खाने का शौक रखते हैं और अकेले सफर का वक्त काटने के लिये ही खीरे खरीदे होंगे।

खाली समय में लेखक को कल्पना करने की आदत थी। तरह-तरह के नए-नए विचार उनके मन में उत्पन्न होते रहते थे। वह नवाब साहब की असुविधा व संकोच के कारण का अनुमान लगाते हुए सोचता है कि किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीदा होगा।

लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा होगा क्योंकि उन्हें ज्यादा दूर नहीं जाना था| वह भीड़ से हटकर नई कहानी के बारे में सोचते हुए यात्रा करना चाहते थे | इसके अतिरिक्त उन्होंने सोचा कि वह प्राकृतिक दृश्यों का भी आनंद उठा लेंगे |

खीरे की फाँर्को को बाहर फेंकने के बाद नवाब साहब गर्व से भर उठे। उनके चेहरे पर संतुष्टि के मिश्रित भाव झलक रहे थे। मात्र सूंघने से ही तृप्ति का अनुभव कर खिड़की से बाहर खीरा फेंकना उनके रईसी खानदान को प्रदर्शित करता है। ऐसा करने से मानो कहना चाहते हो कि यह है रईसों का खानदानी तरीका। वे लेखक जैसे साधारण आदमी के सामने खीरा जैसा सस्ता फल खाने में भी संकोच करते हैं। इसमें उनकी खानदानी तहजीब, नफासत और नजाकत झलकती है |

लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की धारणा व्यंग्यपूर्ण और नकारात्मक थी। लेखक को उनकी बनावटी जीवन शैली नापसंद थी | वह उनके दिखावे के खिलाफ था | संभवतया इसलिए ही उसने आरंभ से ही डिब्बे में बैठे हुए नवाब को ‘नवाबी नस्ल का सफेदपोश’ कहा है |

‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के माध्यम से लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है आज भी नवाबी लोग अपनी नवाबी छिन जाने पर झूठी शान तथा तौर-तरीकों का ही दिखावा करते हैं और ऐसा करते समय वे यह भी नहीं सोचते कि इसमें उन्हें कोई लाभ मिलने वाला नहीं | जैसे पाठ में अपने दिखावे की प्रवृत्ति के कारण नवाब साहब को भूखा ही रहना पड़ा | वास्तव में यह व्यंग्य उस सामंती वर्ग पर कटाक्ष करता है जो अपनी झूठी शान बनाए रखने के लिए कृत्रिमता से युक्त जीवन जीते हैं |

इस कथन के माध्यम से लेखक ने नवाबी जीवन की नजाकत पर गहरा व्यंग्य किया है | इस प्रकार के लोग यथार्थ से कोसों दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं | छोटी-छोटी बातों पर नखरे दिखाना ही इनकी नज़रों में रईसीपना होता है | अभावों में रहते हुए ये रईसी का दिखावा करते हैं और वास्तविकता को स्वीकार नहीं कर पाते |

Answered by Helperking
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Answer:खीरे को अपदार्थ वस्तु इसलिए कहा गया हैं क्योंकि क्योंकि उन्हें यह लजीज नही लगा होगा क्योंकि नवाबों के लिहाज से खीरा बहुत ही आम चीज है क्योंकि नवाब बहुत ही शौकीन होते हैं और वे महंगी और लजीज चीजों का आनंद ही लेना चाहते है। नवाब आम आदमी (लेखक ) के सामने खीरे जैसी आम वस्तु नही खा सकते ।

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