LEO
(क) 'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व है कौन से दो पहलू (पक्ष)
उभरकर आते हैं ? लिखिए।
(अंब
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namak ka darog kahani me pandit aalopidin ke vyktitav pachh e do pahlu ubharkar aate hai pandit ji ek vaypari hai apne vaypari ko chalane ke liye ve achhe bure tarike ka prayog karye hai vanshidhar ko apne marg se jatane ke liye ve sare hadkande prayog me late hai emandar vansidhar unke aage thahar nahi pata or use apne pad se hata diya jata hai
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नमक का दारोगा पाठ में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के दो पहलू निम्न प्रकार से स्पष्ट किए गए है।
- " नमक का दारोगा " पाठ में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के दो पहलू रेखांकित किए गए है। पहला यह कि वे भ्रष्ट है, रिश्वत लेते व देते है।लोगों की मजबूरी कज फायदा उठाते है। जो उनसे रिश्वत लेने से इंकार कर देता है उसे वे पद से निलंबित करवा देते है।
- पंडित अलोपीदीन के चरित्र का दूसरा पहलू यह उभर कर आता है कि उन्हें ईमानदार व्यक्ति परख है, वे ईमानदार व कर्तव्य का पालन करने वाले लोगों की कद्र करते है।
- वंशीधर दारोगा के पद पर कार्य रत था, उसने पंडित अलोपीदीन ने उन्हें रिश्वत देकर खरीदने का प्रयास किया किन्तु वंशीधर दारोगा ने ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा, वे निलंबित कर दिए गए
- उन्हें बेरोजगार देखकर पंडित अलोपीदीन को दुख हुआ, उन्हें यह महसूस हुआ कि उनके कारण ही दारोगा की नौकरी चली गई, उन्हें यह लगा की ऐसा ईमानदार इंसान मिलना मुश्किल है इसलिए उन्होंने वंशीधर को अपनी जायदाद स्थाई मैनेजर नियुक्त कर दिया।
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