letter to Bapu conveying the children's contribution (swachhta)
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प्रिय बापू
प्रणाम जय हिंद
हमें आज आपकी बहुत याद आ रही है क्योंकि आपका जन्मदिन शीघ्र ही आने वाला है। हमने अपनी किताबों में पढ़ा है कि आप साफ सफाई के बहुत बड़े समर्थक थे। आपने सदैव लोगों को स्वच्छता से रहने की सीख दी और अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ बनाने बनाए रखने पर जोर दिया। लेकिन मैं देख रही हूं कि आपके द्वारा दिए आपके आदर्शों को हमारे देशवासी भूल चुके हैं और चारों तरफ गंदगी ही फैलाते हैं। साफ-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।
मैं आपकी साफ-सफाई से रहने की सीख से बहुत प्रभावित थी, इसके लिए मैंने हमेशा कोशिश की कि मैं आपके साफ-सफाई के मूल मंत्र को अपने जीवन में पूरी तरह अपनाऊँ। इसलिए मैं अपने कमरे से लेकर अपने स्कूल की डेस्क हर जगह साफ-सफाई रखती हूं। लेकिन हमारे कुछ साथी और आसपास के लोग गंदगी फैलाते हैं तो मुझे बड़ा दुख होता है। मैं रोज प्रयत्न करती हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करूं कि वह अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें। स्वच्छ वातावरण रहेगा तो स्वच्छ तन रहेगा तो स्वच्छ मन रहेगा, ये बात बताती हूँ।
इस बार 2 अक्टूबर को जब आप की 150वीं जयंती है तो मैं आपको श्रद्धांजलि के रूप में एक कुछ अर्पित करना चाहती हूं और मैं श्रद्धांजलि के रूप में आपके सामने यह प्राण करती हूं कि मैं जीवन भर हमेशा स्वच्छता से रहने के नियम का पालन करती रहूँगी। मैं रोज अधिक से अधिक लोगों को स्वच्छता से रहने के लिए जागरूक करूंगी। इसी बात के साथ पत्र समाप्त करती हूं। आप इस ब्रह्मांड में जहां कहीं भी हो हमें अपना आशीर्वाद दें कि हम आपके बताए हुए मार्ग पर दृढ़ता पूर्वक चल सकें।
आपके भारत की एक छात्रा ,
मोना|