Letter to Friend Describing Beauty of Hill Station in Hindi
Answers
मित्र को पत्र लिखिए जिस में पहाड़ों की सुंदरता का वर्णन किया हो I
परीक्षा भवन,
क ख ग केंद्र,
अ ब शहर I
दिनांक..........
प्रिय मित्र नवीन,
कल ही तुम्हारा पत्र मिला, जिसमें तुमने अपनी नई साइकिल का उल्लेख किया है, नई साइकिल के लिए तुम्हें बहुत बहुत बधाई।
मित्र पिछले पत्र में मैंने आपसे कश्मीर जाने का जिक्र किया था। इस बार दीपावली की छुट्टियों में हम रात को 9:00 बजे दिल्ली के जंक्शन से हम कश्मीर मेल में सवार हुए, जम्मू हम शाम पहुंच गए। चारों तरफ सुंदर बर्फ से ढके पहाड़ थे । हम श्रीनगर के लिए रवाना हुए स्वर्ग भूमि कश्मीर देखने के लिए हम लालायायित थे।
कश्मीर में हजारों प्रकार के फूल खिलते हैंI उनमें मजार पोस्ट तथा लाल पोस्ट बहुत ही दिखाई देते हैं, चारों और ऊंचे पहाड़ों और बीच में मैदान है, इसमें श्रीनगर बसा हुआ है और इसके बीचों बीच झेलम नदी बहती है I जिस पर आने जाने के लिए कई पुल बने हैं। कश्मीर में हमने शालीमार बाग और निशांत बाघ देखने का आनंद भी लिया शालीमार के चिनार के पेड़, ऊंचे उठते फव्हारे, मक्खन जैसी घास से ढके लान एक समा बांध रहे थे Iडल झील की दूसरी और निषात बाग है I हमें पता ही नहीं चला कि 3 दिन कब बीत गए। मैं आज शाम ही घर पहुंचा हूं ।
माता और पिता जी को चरण वंदना कहना तथा नेहा को प्यार।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
विकास
Answer:मित्र को पत्र लिखिए जिस में पहाड़ों की सुंदरता का वर्णन किया हो I
परीक्षा भवन,
क ख ग केंद्र,
अ ब शहर I
दिनांक..........
प्रिय मित्र नवीन,
कल ही तुम्हारा पत्र मिला, जिसमें तुमने अपनी नई साइकिल का उल्लेख किया है, नई साइकिल के लिए तुम्हें बहुत बहुत बधाई।
मित्र पिछले पत्र में मैंने आपसे कश्मीर जाने का जिक्र किया था। इस बार दीपावली की छुट्टियों में हम रात को 9:00 बजे दिल्ली के जंक्शन से हम कश्मीर मेल में सवार हुए, जम्मू हम शाम पहुंच गए। चारों तरफ सुंदर बर्फ से ढके पहाड़ थे । हम श्रीनगर के लिए रवाना हुए स्वर्ग भूमि कश्मीर देखने के लिए हम लालायायित थे।
कश्मीर में हजारों प्रकार के फूल खिलते हैंI उनमें मजार पोस्ट तथा लाल पोस्ट बहुत ही दिखाई देते हैं, चारों और ऊंचे पहाड़ों और बीच में मैदान है, इसमें श्रीनगर बसा हुआ है और इसके बीचों बीच झेलम नदी बहती है I जिस पर आने जाने के लिए कई पुल बने हैं। कश्मीर में हमने शालीमार बाग और निशांत बाघ देखने का आनंद भी लिया शालीमार के चिनार के पेड़, ऊंचे उठते फव्हारे, मक्खन जैसी घास से ढके लान एक समा बांध रहे थे Iडल झील की दूसरी और निषात बाग है I हमें पता ही नहीं चला कि 3 दिन कब बीत गए। मैं आज शाम ही घर पहुंचा हूं ।
माता और पिता जी को चरण वंदना कहना तथा नेहा को प्यार।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
विकास
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