(लगु लेखन 100 words) प्यासा कौवा, एक घडे़ में थोड़ा पानी,पास में छोटे कंकड,कौए का पानी प्यास बुझाना?
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एक बार की बात है एक कौवा बड़ा ही प्यासा था, पानी की तालाश में वह कौवा इधर उधर भटक रहा था लेकिन उसे कही भी पानी का कोई स्रोत नहीं दिखाई दिया। बहुत देर इधर उधर घूमने के बाद थक हारकर कौवा एक पेड़ की डाल पर बैठा।
पेड़ से कुछ ही दूरी पर एक खेत था जहां पर एक घड़ा रखा हुआ था, कौआ अंदर ही अंदर काफी खुश हो गया और जल्दी से घड़े के पास जा पंहुचा। लेकिन जैसे ही कौवे ने घड़े में पानी पीनी के लिए अपना चोंच डाला उसकी ख़ुशी झट से गम में बदल गयी, घड़े में पानी बहुत ही कम था जिस वजह से कौए की चोंच पानी तक नहीं पहुंच पा रही थी।
पानी को देखकर कौए की प्यास और बढ़ती ही जा रही थी लेकिन वह करे तो क्या करे, इधर उधर देखने के बाद कौए को एक उपाय सुझा। उसने देखा की खेत के बगल में काफी कंकर पत्थर पड़े है। फिर क्या था कौए ने एक एक करके पत्थर को घड़े में डालना शुरू कर दिया, जैसे जैसे कंकर घड़े में भरता गया पानी ऊपर आता गया।
पानी को देखकर कौए की प्यास और बढ़ती ही जा रही थी लेकिन वह करे तो क्या करे, इधर उधर देखने के बाद कौए को एक उपाय सुझा। उसने देखा की खेत के बगल में काफी कंकर पत्थर पड़े है। फिर क्या था कौए ने एक एक करके पत्थर को घड़े में डालना शुरू कर दिया, जैसे जैसे कंकर घड़े में भरता गया पानी ऊपर आता गया।जैसे ही पानी कौए के चोंच की पहुंच तक आया उसने झट से पानी पिया और अपना प्यास बुझाया।
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❥︎ प्यासा कौवा
यह कहानी एक कौवे की है।एक बार की बात है एक कौवा बहुत देर से उड़ रहा था।उड़ते-उड़ते उसे बहुत तेज़ प्यास लगी।तभी उसे कुछ दुरी पे एक घड़ा दिखाई दिया।वह नीचे उतरा और घड़े को देखने लगा।उसने पानी बहुत ही कम था और वह बार-बार प्यास कर रहा था लेकिन फिर भी वह पानी नहीं पी पा रहा था।वह बहुत ही प्यासा था।तभी उसे एक उपाय सुझा।वह पास के पड़े पत्थरों को एक-एक करके डालने लगा। करते-करते घड़े का पानी ऊपर तक आ गाया।अब क्या था कौवे के खुशी का ठिकाना न रहा।उसने घड़े में चोंच डाली और खूब मन भर के पानी पिया।और फिर से उड़ चला।
❥︎कहानी की सिख-हमें प्रयास करते रहना चाहिये।परिणाम खुद सामने आ जायेगा।
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