लघु मानवतावाद प्रवृत्ति किस धारा की है
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Explanation:
हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है। इस युग को यह नाम डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे 'वीरकाल' नाम दिया है। इस काल की समय के आधार पर साहित्य का इतिहास लिखने वाले मिश्र बंधुओं ने इसका नाम प्रारंभिक काल किया और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बीजवपन काल। डॉ॰ रामकुमार वर्मा ने इस काल की प्रमुख प्रवृत्तियों के आधार पर इसको चारण-काल कहा है और राहुल संकृत्यायन ने सिद्ध-सामन्त काल।
मानवतावाद की प्रवृत्ति:
मानवतावाद एक दार्शनिक रुख है जो व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मानव के मूल्य और एजेंसी पर जोर देता है। मानवतावाद शब्द का अर्थ क्रमिक बौद्धिक आंदोलनों के अनुसार उतार-चढ़ाव है, जिन्होंने इसके साथ पहचान की है।
आम तौर पर, हालांकि, मानवतावाद एक परिप्रेक्ष्य को संदर्भित करता है जो मानव स्वतंत्रता और प्रगति की कुछ धारणा की पुष्टि करता है। यह मनुष्यों को व्यक्तियों के संवर्धन और विकास के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार मानता है और दुनिया के संबंध में मनुष्यों के लिए एक चिंता पर जोर देता है।
आधुनिक समय में, मानवतावादी आंदोलन आम तौर पर धर्मनिरपेक्षता के साथ गठबंधन किए गए गैर-धार्मिक आंदोलन हैं, और आज मानवतावाद दुनिया को समझने के लिए एक अलौकिक स्रोत से रहस्योद्घाटन के बजाय विज्ञान पर केंद्रित मानव जीवन एजेंसी का उल्लेख कर सकता है।