लहासा और तिब्बत की भौगोलिक स्थिति की जानकारी देते हुए वहां के लोगों का रहन सहन, खान पान, वेशभूषा, भाषा, संस्कृति पर एक निबंध लिखिए।
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तिब्बत (Tibet) एशिया का एक देश है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं।
ल्हासा और तिब्बत पर एक निबंध...
तिब्बत एशिया का एक प्रमुख पठार है। भौगोलिक की दृष्टि से यह एक हिमालय क्षेत्र है। यहां पर ना तो बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, ना बहुत अधिक गर्मी। यहाँ का मौसम में लगभग एक समान रहता है। तिब्बत सदियों तक एक स्वतंत्र देश के रूप में रहा है, लेकिन बाद में 1955 में चीन ने तिब्बत पर अपना ना कब्जा कर लिया तब से वह चीनी गणराज्य के अधिकार में है। तिब्बती लोग अपनी स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहते हैं। तिब्बत के सबसे बड़े राजनीतिक और धार्मिक नेता एवं गुरू दलाई लामा भारत में शरण शरण लिए हुए हैं।
सांस्कृतिक रूप से बौद्ध धर्म बहुल है और यहां पर बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव है। तिब्बती लोग बौद्ध धर्म की तिब्बती शाखा को मानते हैं।
ल्हासा तिब्बत की राजधानी है और इसकी भौगोलिक स्थिति काफी अनूकूल है। यहां पर पूरे साल मौसम अधिकतर साफ ही रहता है। वर्षा बहुत अधिक नहीं होती। ना ही बहुत अधिक सर्दी पड़ती है और ना ही गर्मियों में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। ल्हासा को सूर्यकिरण शहर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यहां पर धूप काफी मात्रा काफी लंबे समय तक उपलब्ध रहती है। तिब्बत का अपने पड़ोसी देशों भारत, नेपाल और चीन की संस्कृति का गहरा प्रभाव पड़ा है। मुख्य रूप से तिब्बत बौद्ध धर्म बहुल राज्य है।
तिब्बत की संस्कृति रचनात्मक रही है। तिब्बत की संस्कृति में धर्म कला और इतिहास सभी तत्व शामिल हैं। थांगका नाम की विशेष चित्रकला तिब्बत की विशेषता मानी जाती है और थांगका चित्रकला को तिब्बती संस्कृति का विश्वकोश और पारंपरिक संस्कृति व कला की मूल्यवान विरासत बताया जाता है।
तिब्बती लोग अपने नए साल पर लोसर नाम का त्योहार मनाते हैं। यह त्यौहार फरवरी के आखिरी और मार्च महीने की शुरुआत में मनाया जाता है। इस त्यौहार में मठों में पूजा अर्चना की जाती है और तिब्बती लोक नृत्य किया जाता है। यह त्योहार 15 दिनों तक चलता है लेकिन शुरुआती 3 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। चामनृत्य इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण होता है। यह नृत्य खूबसूरत परिधान और मास्क पहनकर किया जाता है।
पहनावे में तिब्बती महिलायें तिब्बती शैली का गाउन पहनती हैं, जिसे ‘चुपा’ कहते हैं जबकि पुरुष लोग तिब्बती शैली की शर्ट पहनते हैं जिसे ‘तोह-थुंग’ कहा जाता है। रंग बिरंगे तिब्बती परिधानों में तिब्बती लोग बेहद आकर्षक लगते हैं।
तिब्बती लोग एक खास तरह की टोपी भी पहनते हैं। जिसे ‘गामा-शोम’ कहा जाता है. इस टोपी को याक के बालों से बनाया जाता है।
तिब्बती शैली में बनाई गई स्क्रोल पेंटिंग तिब्बती कारीगरी का एक नमूना है। तिब्बती लोगों के खानपान पर दृष्टि डाली आए तो तिब्बती लोगों का खान-पान थाली में अनेक तरह के व्यंजन होते हैं। तिब्बती लोगों का प्रमुख भोजन ‘तसंपा’ है, यह जौ के आटे और और याक के मक्खन से तैयार किया जाता है। याक बटर टी तिब्बत का राष्ट्रीय पेय पदार्थ है। थूकपा सूप विशेष तिब्बती सूप है जिसे घर में ही नूडल सब्जी और चिकन से बनाया जाता है। यह सूप तिब्बती त्यौहार लोसर का प्रमुख व्यंजन है। तिब्बती लोग मोमोज या और नूडल्स भी बड़े प्रेम से खाते हैं।