लहसुन गांठ कपूर के नीर में, बार पचासक धोइ मंगाई।
केसर के पुट दै दै कै फेरि, सु चंदन वृच्छ की छांह सुखाई ।।
मोगरे मगहं खपेरि धरी गंग, बास सुबास न आवे न आई
ऐसहि नीच को ऊँच की संगति, कोटि करो पै कुटेव न जाई।
अर्थ बताएं ।
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I can't understand hindi
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