lifestyle of pandit syham lal chaturvedi
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बताया जाता है बचपन में मां के कारण उनका रुझान लेखन में हुआ. उनकी मां ने उन्हें सुन्दरलाल शर्मा की 'दानलीला' रटा दी थी. श्यामलाल चतुर्वेदी करीब 75 वर्षों तक साहित्य साधना के जरिए हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध बनाने की कोशिश करते रहे. उन्होंने पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी मूल्यवान सेवाएं दी हैं.
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nahi ata
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oommm ......................
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