लक्ष्मी का स्वागत एकांकी के आधार पर रोशनी का चरित्र चित्रण कीजिए
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“लक्ष्मी का स्वागत” एकांकी के मुख्य पात्र रोशन का चरित्र चित्रण
“लक्ष्मी का स्वागत” एकांकी ‘उपेंद्र नाथ अश्क’ द्वारा लिखा गया सामाजिक मान्यताओं पर गहरी चोट करने वाला एक मर्मस्पर्शी एकांकी है। एकांकी की पृष्ठभूमि पारिवारिक होने के बावजूद यह संवेदनहीन सामाजिक मान्यताओं पर गहरी चोट करता है।
कहानी का मुख्य पात्र रोशन एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति है। वो अपनी पत्नी और पुत्र को प्यार करने वाला एक संवेदनशील व्यक्ति है। उसकी पत्नी का एक माह पहले ही बीमारी के कारण देहांत हो चुका है और वो अपनी पत्नी के वियोग में दुखी है। उसी समय उसके पुत्र भी गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है। उसके पुत्र की स्थिति बिगड़ती जा रही है। रोशन के माता पिता रोशन पर दूसरी शादी का दबाव डाल रहे हैं।
लेकिन रोशन अपने पुत्र से बेहद प्रेम करता है और वह अपने पुत्र की देखभाल करना प्रथम कर्तव्य समझता है। इसलिए वो दूसरी शादी के विषय में नहीं सोचता। जबकि उसके माता-पिता उस पर दबाव डालते हैं। रोशन का पुत्र का बीमार है। रोशन अपने पुत्र की देखभाल में जी-जान से लगा है। उसी समय रोशन के लिए शादी का रिश्ता आता है तो उसके माता-पिता शगुन लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। जबकि रोशन रिश्ते वालों से मिलने नहीं आता। वो अपने पुत्र अरुण की देखभाल में व्यस्त रहता है।
ये उसकी संवेदनशीलता और अपने पुत्र के प्रति प्रेम को प्रकट करता है। इस तरह रोशन अपनी पत्नी और पुत्र को प्रेम करने वाला एक बेहद संवेदनशील और समझदार व्यक्ति है। जबकि उसके माता-पिता एक संवेदनहीन लोग हैं जो अपने पोते की बीमारी की हालत में भी रोशन की शादी करने के लिए तत्पर है, क्योंकि रोशन की शादी से उन्हें भारी भरकम दहेज मिलेगा। वे कहते हैं कि लक्ष्मी का निरादर नहीं किया जाता। इन्ही सब स्थितियों के बीच रोशन के पुत्र अरुण का देहांत हो जाता है, और एकांकी का समापन हो जाता है।
Answer:
प्रस्तुत एकांकी का केंद्रीय पात्र शशि रोशन ही है सारी कहानी उसी के आसपास घूमती है यदि लक्ष्मी का स्वागत भी है तो उसी के माध्यम से उपेंद्र नाथ अश्क ने उसे बाबू पिता प्रेमी पति अच्छा बायो मित्र के रूप में चित्रित किया है उसकी इन विशेषताओं के निम्नलिखित रुप में अच्छी प्रकार समझा जा सकता है
बाबू को और इसने ही पति रोशन एक भावुक एवं इसने ही पति है वह यह नहीं चाहता है कि की पत्नी की मृत्यु के दुख से कहता है आप नहीं जानते डॉक्टर साहब यह सब लोग पत्थर दिल है सच्चा इंसान रोशन एक सच्चा इंसान है दयालु ही कारण एवं दुनिया विश्वास पर था और पुरुष के प्रति विद्रोही तथा मां जैसी ममता से मुक्त एक बाप है उसके अंदर सभी मानवीय गुणों से युक्त पिता रोशन अरुण को बहुत प्यार करता है वह उसकी बीमारी के कारण बेचैनी अरुण की दिशा देख वह कहता है उसकी सास हर घड़ी रुकती जा रही है उसका गला जैसे बंद होता जा रहा है उसकी आंखें खुली है पर वह कुछ कह नहीं सकता भी हो सहायता चुपचाप टुकुर टुकुर टुकुर दे मानव है जब शादी के संबंध में प्राप्त करती है तब वह कहता है तुम रात को मुझसे मिलाती हो आप अशिक्षित और उसके दिल कहां है मैसूर का मद्दा है वह जानवर है