लक्ष्मी नारायण मिश्र जी यथार्थवादी हैं। सिद्ध कीजिए।
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पंडित लक्ष्मीनारायण मिश्र, (1903-1987) हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार थे। उन पर पाश्चातय नाटककार इन्सन, शा, मैटरलिंक आदि का खासा प्रभाव था। लेकिन फिर भी उनके एकांकियों में भारत की आत्मा बसती थी। पं0 लक्ष्मीनारायण मिश्र जी ने प्रचुर मात्रा में गद्य तथा पद्य दोनों में ही साहित्य स्रजन किया है।
लक्ष्मी नारायण मिश्र जी यथार्थवादी हैं। सिद्ध कीजिए।
लक्ष्मी नारायण मिश्र एक यथार्थवादी है, यह बात उनके नाटकों एवं एकांकी के माध्यम से स्पष्ट हो जाती है। लक्ष्मी नारायण मिश्र की एकांकी की विषय वस्तु पौराणिक भी रही है और ऐतिहासिक भी रही है, तथा मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि लिए भी रही है। उनके अधिकतर नाटक आम जनमानस के जीवन की दैनिक विसंगतियों से जुड़े रहे हैं।
उनके द्वारा रचित अधिकतर नाटकों में पात्रों की संख्या कम होती है, लेकिन वे उन पात्रों का चित्रण वह इस यथार्थ व जीवंतता से करते हैं कि वह पात्र कोई काल्पनिक पात्र ना लगकर हमारे आसपास के जीवन के जीते-जागते पात्र लगते हैं। ऐसा लगता है कि वे पात्र हमारे आस-पास ही कहीं हैं। उनकी यह कला उनकी यथार्थता को पुष्ट करती है। उनके नाटकों और एकांकियों की संवाद योजना सार्थक होती है, जिसमें तार्किकता देखने को मिलती है। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि वह एक यथार्थवादी नाटककार हैं।
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