लक्ष्मण की अनुपस्थिति में राम को अपना जीवन कैसा प्रतीत होता है
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आती-जाती रहती हैं, परंतु सगा भाई बार-बार नहीं मिलता। (ग) राम को लक्ष्मण के बिना अपना जीवन उतना ही हीन लगता है जितना पंख के बिना पक्षी, मणि के पिना मापनमा के बिना हाथी का जीवन हीन होता है।
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