लक्ष्मण परशुराम संवाद के बारे में अपने विचारों को लिखिए 50 शब्दों में
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Answer:
राम लक्ष्मण और परशुराम के संवाद तुलसीदास जी ने लिखे थे। पाठ अवधी भाषा में है। यह अंश, जो रामचरितमानस के बालकाण्ड से आता है, कक्षा 10 के लिए हिंदी पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग 2 के काव्य भाग में पाया जा सकता है।
Explanation:
परशुराम, अकेले भगवान शिव के एक समर्पित अनुयायी। वह क्रोधित हो गया और धनुष टूटने की आवाज सुनकर तुरंत राजा जनक के दरबार में पहुंचा। इस कड़ी में, भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण क्रोधित परशुराम से बातचीत करते हैं।
नाथ संभुधनु भंजनिहारा प्रथम चौगुनी है। आपका सेवक, होइही केउ
मैं आयसू कह कहिये हूं। जोड़ा गया सुनी रिसाई कोही मुनि
अर्थ: परशुराम के आलोचक उग्र हैं, हे राम के नाथ! शिव धनुष धन्य हैं। मेरा आदेश क्या है? ज़रूर। यह गुस्से में है।
सेवकु, इस प्रकार आप जो कुछ भी करते हैं, उसकी सेवा करें। सुनहू राम जेही सिद्धनु तोरा अरिकी करिया लराई। समाधि सहस्बा रिपु मोरा तब
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