Hindi, asked by vijitharenjusre4590, 1 year ago

लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ की अंतरे उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

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Answered by 18shreya2004mehta
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व्यंजना शब्द शक्ति – जब किसी शब्द के अभिप्रेत अर्थ का बोध न तो मुख्यार्थ से होता है और न ही लक्ष्यार्थ से , अपितु कथन के संदर्भ के अनुसार अलग – अलग अर्थ से या व्यंग्यार्थ से प्रकट होता हो वहाँ वह शब्द व्यंजक कहलाता है , उसके द्वारा प्रकट होने वाला अर्थ व्यंग्यार्थ या ध्वन्यार्थ कहलाता है तथा उस शब्द की शक्ति को व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं | जैसे – सूरज डूब गया | इस वाक्य का वाच्यार्थ या मुख्यार्थ एक ही रहने पर भी अलग – अलग भावार्थ लगा लिए जाने के कारण यहाँ व्यंजना शब्द शक्ति मानी जाती है | इस शब्द शक्ति को ध्वन्यार्थ इसलिए कहा जाता है कि इसमें अर्थ ध्वनित होता है | जैसे घंटे पर चोट लगने पर जोर जोर की टंकार होती है , उसके बाद उसमें से मंद – मंद झंकार निकलती है जो देर तक गूँजती रहती है | उसी प्रकार इस शब्द शक्ति में भी शब्द से पहले मुख्यार्थ का बोध होता है उसके बाद वक्ता , श्रोता और संदर्भ भेद से अन्य अनेक अर्थ ध्वनित होते हैं | जैसे – पुजारी ने कहा, “अरे ! संध्या हो गई |” व्यंजना, शब्दशक्ति का एक प्रकार है।

Answered by nivabora539
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लक्षणा शब्द शक्ति – जहाँ मुख्य अर्थ में बाधा उपस्थित होने पर रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर मुख्य अर्थ से संबंधित अन्य अर्थ को लक्ष्य किया जाता है, वहाँ लक्षणा शब्द शक्ति होती है | जैसे – मोहन गधा है | यहाँ गधे का लक्ष्यार्थ है मूर्ख | आचार्य मम्मट के अनुसार – “मुख्यार्थ बाधे तद्योगे रूढ़ितोऽथ प्रयोजनात्

व्यंजना शब्द शक्ति – जब किसी शब्द के अभिप्रेत अर्थ का बोध न तो मुख्यार्थ से होता है और न ही लक्ष्यार्थ से, अपितु कथन के संदर्भ के अनुसार अलग – अलग अर्थ से या व्यंग्यार्थ से प्रकट होता हो वहाँ वह शब्द व्यंजक कहलाता है, उसके द्वारा प्रकट होने वाला अर्थ व्यंग्यार्थ या ध्वन्यार्थ कहलाता है तथा उस शब्द की शक्ति को व्यंजना ..

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