लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ की अंतरे उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
Answers
Answer:
follow me guys
व्यंजना शब्द शक्ति – जब किसी शब्द के अभिप्रेत अर्थ का बोध न तो मुख्यार्थ से होता है और न ही लक्ष्यार्थ से , अपितु कथन के संदर्भ के अनुसार अलग – अलग अर्थ से या व्यंग्यार्थ से प्रकट होता हो वहाँ वह शब्द व्यंजक कहलाता है , उसके द्वारा प्रकट होने वाला अर्थ व्यंग्यार्थ या ध्वन्यार्थ कहलाता है तथा उस शब्द की शक्ति को व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं | जैसे – सूरज डूब गया | इस वाक्य का वाच्यार्थ या मुख्यार्थ एक ही रहने पर भी अलग – अलग भावार्थ लगा लिए जाने के कारण यहाँ व्यंजना शब्द शक्ति मानी जाती है | इस शब्द शक्ति को ध्वन्यार्थ इसलिए कहा जाता है कि इसमें अर्थ ध्वनित होता है | जैसे घंटे पर चोट लगने पर जोर जोर की टंकार होती है , उसके बाद उसमें से मंद – मंद झंकार निकलती है जो देर तक गूँजती रहती है | उसी प्रकार इस शब्द शक्ति में भी शब्द से पहले मुख्यार्थ का बोध होता है उसके बाद वक्ता , श्रोता और संदर्भ भेद से अन्य अनेक अर्थ ध्वनित होते हैं | जैसे – पुजारी ने कहा, “अरे ! संध्या हो गई |” व्यंजना, शब्दशक्ति का एक प्रकार है।
Answer: