लखने कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।
की छत लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भार।
६. रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रासू।।।
चत परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मारा।
बालकु बोलि बधौं नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही।।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीनही।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।। भावार्थ
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खने कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।
की छत लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भार।
६. रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रासू।।।
चत परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मारा।
बालकु बोलि बधौं नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही।।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीनही।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
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भावाथŊ-लƘण ने ʩंƶ करते Šए कहा िक हमŐ तो सभी धनुष एक ही समान लगते हœ। एक-दो धनुष के टू टने से कौन सी
लाभ-हािन हो गई। उनको ऐसा कहते देख राम उɎŐ ितरछे नेũोंसेिनहार रहेहœ। लƘण ने आगे कहा िक यह धनुष तो
ŵीराम के छू ने भर से टू ट गया था। आप बेकार मŐ ही Ţोध कर रहे हœ। इसपर परशुराम अपने फरसे की ओर देखते Šए कहते
हœ िक शायद तुम मेरे ˢभाव के बारे मŐनहींजानतेहो। मœ अभी तक तुमको बालक समझ कर तुʉारा वध नहींकर रहा šँ।
तुम मुझे िकसी सामाɊ ऋिष की भाँित समझने की भूल कर रहे हो। मœ बाल Ű˦चारी šँ और सारा संसार मुझे Ɨिũय कु ल के
िवनाशक के ŝप मŐ जानता है। मœने अपने भुजबल से इस पृțी को कई बार Ɨिũयोंसेिवहीन कर िदया था और इस पृțी को
जीतकर Űा˦णोंको दान मŐ िदया है। मœने सहŷबाŠ को बुरी तरह से मारा था। मेरे फरसे को ग़ौर से देख लो। तुम तो अपने
ʩवहार से उस गित को पŠँच जाओगे, परंतु तुʉारे माता-िपता को असहनीय पीड़ा होगी मेरे फरसे की गजŊना सुनकर ही
गभŊवती İ˓योंका गभŊपात हो जाता है।