लखन कहा हसि हमरे जाना | सुनहु देव सब धनुष समाना ||
का छति लाभ जून धनु तोरें | देखा राम नयन के भोरें ||
छुअत टूट रघुपतिहु न दोसु | मुनि बिनु काज करिअ क्त रोसु ||
बोले चिते परसु की ओरा| रे सठ सुनेहु सुभाउ न मोरा ||
बालकु बोलि बधौ नहि तोहि| केवल मुनि जड़ जानहि मोहि ||
बाल ब्रह्मचारीअति कोहि| बिस्व्बिदित क्षत्रियकुल द्रोही ||
भुजबल भमि भूप बिनु किन्ही | बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ||
(क) उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है? 1
i. तुलसीदास ii. सूरदास iii. कबीर दास iv. रहीमदास
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Answer:
राम लक्ष्मण परशुराम संवाद - तुलसीदास
पाठ 2 क्षितिज कक्षा दसवीं कोर्स अ
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लखन कहा हसि हमरे जाना | सुनहु देव सब धनुष समाना ||
का छति लाभ जून धनु तोरें | देखा राम नयन के भोरें ||
छुअत टूट रघुपतिहु न दोसु | मुनि बिनु काज करिअ क्त रोसु ||
बोले चिते परसु की ओरा| रे सठ सुनेहु सुभाउ न मोरा ||
बालकु बोलि बधौ नहि तोहि| केवल मुनि जड़ जानहि मोहि ||
बाल ब्रह्मचारीअति कोहि| बिस्व्बिदित क्षत्रियकुल द्रोही ||
भुजबल भमि भूप बिनु किन्ही | बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ||
(क) उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
i. तुलसीदास ii. सूरदास iii. कबीर दास iv. रहीमदास
इसका सही जवाब है :
i. तुलसीदास
व्याख्या :
यह पद्यांश तुलसीदास नामक पाठ से लिया गया है। यह पद्यांश तुलसीदास द्वारा रचित राम लक्ष्मण परशुराम पाठ से लिया गया है।
इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि लक्ष्मण परशुराम से हंसकर कहते हुए कहते हैं कि हमारे लिए तो सारे धनुष एक से ही हैं। पुराने धनुष को तोड़ने से क्या लाभ और क्या हानि? श्री रामचंद्र ने इसे नया समझकर ही उठाया था और यह धनुष छूते ही टूट गया तो इसमें हमारा क्या दोष? हे मुनि आप किसी बिना कारण के क्रोध क्यों कर रहे हैं?
परशुराम ने अपने फरसे की ओर देखकर कहा, अरे दुष्ट बालक तू मेरे स्वभाव के बारे में नहीं जानता। मैं तुझे बालक समझकर नहीं मार रहा हूँ । अरे मूर्ख तू क्या मुझे मेरा मुनि ही समझता है। मैं बाल ब्रह्मचारी और क्रोधी हूँ। मैं क्षत्रिय कुल के नाशक के रूप में पूरे संसार में प्रसिद्ध हूँ।। मेरे भुजाओं के बल के आगे बड़े बड़े राजा परास्त हैं। सहस्त्रबाहु की भुजाओं को काट देने वाले मेरे फरसे को देख। बालक तू अपने माता-पिता की चिंता कर। मेरा फरसा बड़ा भयानक है। यह गर्भ के बच्चों तक का विनाश कर देता है। यह किसी छोटे बड़े का भेद नहीं करता।
#SPJ2
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रस पहचानीया
एक भरोसे एक बल, एक आस बिस्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
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आपके पाठ्यक्रम संकलित 'हमसों कहत कौन की बातें' कविता पंक्ति के रचयिता का नाम लिखिए।