ललद्यद किस भाषा की कवित्री हैं?
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ललद्यद हिंदी एवं कश्मीरी भाषा की कवियित्री रही हैं।
ललद्यद 14वीं शताब्दी की एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों पर करारा व्यंग्य किया है। उनका जन्म 1320 ईसवी के आसपास कश्मीर के पम्मपरो के सिमपुरा नामक गांव में हुआ था। ललद्यद हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध भक्त कवियत्री थीं। उन्होंने भक्ति मार्ग का रास्ता अपनाकर भक्ति से संबंधित रचनाएं करनी शुरू कर दी।
कबीर की भांति उन्होंने भी धार्मिक आडंबरों और कुरीतियों के ऊपर प्रहार किया है और मनुष्य को धर्म के संकीर्ण विचारों से ऊपर हटकर भक्ति धारा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है।
Answer:
कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत कवयित्री ललद्यद का जन्म सन् 1320 के लगभग कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमपुरा गाँव में हुआ था। उनके जीवन के बारे में प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। ललाद को लल्लेश्वरी, दलला, ललयोगेश्वरी, ललारिफा आदि नामों से भी जाना जाता है। उनका देहांत सन् 1391 के आसपास माना जाता है।
ललाद की काव्य-शैली को वाख कहा जाता है। जिस तरह हिंदी में कबीर के दोहे, मीरा के पद, तुलसी की चौपाई और रसखान के सवैये प्रसिद्ध हैं, उसी तरह ललद्यद के वाख प्रसिद्ध हैं। अपने वाखों के जरिए उन्होंने जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर भक्ति के ऐसे रास्ते पर चलने पर जोर दिया जिसका जुड़ाव जीवन से हो। उन्होंने धार्मिक आडंबरों का विरोध किया और प्रेम को सबसे बड़ा मूल्य बताया।
लोक-जीवन के तत्वों से प्रेरित ललद्यद की रचनाओं में तत्कालीन पंडिताऊ भाषा संस्कृत और दरबार के बोझ से दबी फ़ारसी के स्थान पर जनता की सरल भाषा का प्रयोग हुआ है। यही कारण है कि ललद्यद की रचनाएँ सैकड़ों सालों से कश्मीरी जनता की स्मृति और वाणी में आज भी जीवित हैं। वे आधुनिक कश्मीरी भाषा का प्रमुख स्तंभ मानी जाती हैं।