Hindi, asked by ishitaab14, 3 months ago

Long answers from kundaliya chapter class 8th
1. पहले पद में कवि क्या सन्देश देना चाहते है?
2. कवी धन से भी ज़्यादा किसे महत्त्वपूर्ण मानता है और क्यों?
3. ऐसा क्यों कहा गया:-
(क) चंचल जल दिन चारिको, तौ न रहत निदान
(ख) दोउ को इकरंग, काग सब भए अपावन
(ग) खान पान सम्मान, राग रंग मनहि न भावै
4. आपके अनुसार किसी भी काम को करने से पहले क्या विचार करना चाहिए?
5. सफलता गुणों से मिलते है या भाग्य से? अपने विचार लिखिए

Answers

Answered by shishir303
3

1. पहले पद में कवि क्या सन्देश देना चाहते है?

➲ पहले पद में कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि मात्र धन-दौलत पा लेने से ही कोई बड़ा नहीं बन जाता। धन तो जल की तरह अस्थिर प्रवृत्ति का होता है. यह 4 दिन एक जगह ठहरता है फिर दूसरी जगह चला जाता है। यह स्थिर नहीं रहता यानि किसी के पास हमेशा के लिये नही टिकता।  इसलिए धन-दौलत पाकर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, और सदैव विनम्र आचरण करना चाहिए।

2. कवि धन से भी ज़्यादा किसे महत्त्वपूर्ण मानता है और क्यों?

➲ कवि धन से भी अधिक महत्वपूर्ण विनम्र आचरण और मीठी बोली को मानता है। कवि के अनुसार हमेशा विनम्र आचरण करते रहने और सबसे मीठी बोली बोलने से व्यक्ति सभी का प्रिय पात्र बन जाता है और यह सद्वयवहार एक ऐसी धन-संपत्ति है, जो हमेशा व्यक्ति के पास टिकी रहती है, जिसको कोई नहीं छीन सकता।

3. ऐसा क्यों कहा गया:-

(क) चंचल जल दिन चारिको, तौ न रहत निदान

➲ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि धन की प्रवृत्ति प्रवृत्ति जल के समान चंचल होती है। जिस तरह जल कभी एक जगह स्थिर नहीं ठहरता और हमेशा चलायमान रहता है, कभी यहाँ कभी वहाँ। उसी तरह धन भी किसी व्यक्ति के पास स्थिर नहीं ठहरता, वह भी चलायमान रहता है, आज इस व्यक्ति के पास कल उस व्यक्ति के पास।

(ख) दोउ को इकरंग, काग सब भए अपावन

➲ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि कौवा और कोयल दोनों रंग रूप में समान होने के बावजूद भी कौवा हमेशा अपयश का पात्र बनता है। क्योंकि रंग रूप में समान होने के बावजूद दोनों की वाणी में बेहद अंतर होता है। जहाँ कोयल की वाणी अत्यंत मधुर होती है, वहीं कौवे की वाणी बेहद कर्कश होती है। इसी कारण कौवे की कर्कश वाणी लोगों को पसंद नहीं आती और वह अपयश का पात्र बनता है। जबकि कोयल की वाणी सब को अत्यंत प्रिय होती है। इसी कारण रंग एवं रूप में समान होने के बावजूद भी कौवा मात्र अपनी कर्कश वाणी के कारण लोगों के अपयश का पात्र बनता है।

(ग) खान पान सम्मान, राग रंग मनहि न भावै

➲ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि  अक्सर ऐसा होता है कि जल्दी बाजी में कोई गलत कार्य या गलत निर्णय ले लेने के कारण बेहद हानि होती है। ऐसी स्थिति में खान-पान, सम्मान, मनोरंजन, रंग-रूप आदि कुछ भी मन को अच्छे नहीं लगते हैं और व्यक्ति पश्चाताप की अग्नि में जलता रहता है। इसलिए कोई भी कार्य को करने से पहले भली-भांति सोच विचार करके कार्य कर लेने से पछताने से बचा जा सकता है।

4. आपके अनुसार किसी भी काम को करने से पहले क्या विचार करना चाहिए?

➲ हमारे अनुसार कोई भी कार्य करने से पहले भली-भांति सोच-विचार, चिंतन मनन कर के ही कार्य करना चाहिए, ताकि बाद में पछताना ना पड़े। अच्छी तरह से सोच-विचार कर किये गये कार्य करने असफलता की गुंजाइश कम होती है, और पछताना भी नही पड़ता।

5. सफलता गुणों से मिलते है या भाग्य से? अपने विचार लिखिए

➲ सफलता सदैव गुणों से मिलती है, भाग्य से नही। यदि भाग्य से ही सफलता मिलने लगती तो सभी अवगुणी व्यक्ति सफल होते। सफलता परिश्रम, इच्छा शक्ति, दृढ़ विश्वास और साहस तथा सुव्यवस्थित ढंग से कार्य करने से मिलती है। यह सभी गुण हैं, यदि व्यक्ति के अंदर गुण न हों तो किसी भी कार्य में सफलता मिलने में संदेह होता है। भाग्य के भरोसे बैठे रहने से सफलता नहीं मिलती जो गुणी व्यक्ति होते हैं, वह भाग्य के भरोसे नहीं बैठते। भाग्य के भरोसे केवल अवगुणी व्यक्ति ही बैठते हैं, इसलिए सफलता गुणों से मिलती है, भाग्य के भरोसे नहीं।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

संबंधित कुछ और प्रश्न —▼

गिरधर कविराय ने कुंडली के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान से किस तरह परिचित कराया है?

Giridhar kavirai Ne Kundli ke Madhyam se vyavaharik Gyan se Kis Tarah parichit karaya hai

https://brainly.in/question/11122504  

साई अपने चित्त की, भूलि न कहिए कोइ।

तब लग मन में राखिए, जब लग कारज होइ।।

जब लग कारज होइ, भूलि कबहूँ नहिं कहिए।

7 दुरजन हँसे न कोइ, आप सियरे वै रहिए।।

कह गिरिधर कविराय, बात चतुरन की ताईं।

करतूती कहि देत, आप कहिए नहि साईं।।

https://brainly.in/question/13842458

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Similar questions