Hindi, asked by kapilDhar, 1 year ago

long essay on library

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Answered by manasisharma
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पुस्तकालय से तात्पर्य है पुस्तकों का घर। विद्या के प्रचार-प्रसार में विद्यालयों के अतिरिक्त पुस्तकालयों का ही सर्वाधिक योगदान होता है। यह वही स्थल है जहां हमें भांति-भांति के विषयों की सहज जानकारी उपलब्ध हो जाती है।पुस्तकालयों का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। प्राचीन काल से ही जब से भाषा को लिपिबद्ध करने का प्रचलन हुआ पुस्तकालयों का भी गठन किया गया। विश्व के अनेक प्रांतों में आज भी प्राचीनतम पुस्तकालयों के साक्ष्य भरे पड़े हैं। भारत के नालन्दा विश्वविधालय में एक समृद्ध एवं विस्तृत पुस्तकालय के अवशेष प्राप्त हुए हैं। रोमन एवं यूनानी इतिहासकारों के समृद्ध पुस्तकें आज भी इन देशों में मौजूद हैं। सामान्यतः हमें मूलभूत विषयों की जानकारी शिक्षण-संस्थानों में मिलती है लेकिन विषय की वृहत जानकारी हेतु हमें पुस्कालयों की ही शरण में जाना पड़ता है।पूरे विश्व में हजारों पुस्तकालय मौजूद है  जहां छात्र-छात्राएं निःशुल्क अथवा कुछ राशि अदा कर अपना ज्ञानार्जन करते हैं। पुस्तकालयों का वर्गीकरण दो रूपों में किया जा सकता है सार्वजनिक पुस्तकालय और सरकारी पुस्तकालय। सार्वजनिक पुस्तकालय वैसे पुस्तकालय हैं जहां कोर्इ भी व्यकित निःशुल्क अथवा निश्चित राशि अदा कर वहां मौजूद पुस्तकों को पढ़ सकता है अथवा जरूरत होने पर अल्पावधि के लिए अपने साथ ले जा सकता है। इनके विपरीत सरकारी पुस्तकालय की सुविधा केवल विेशेष सदस्यों को दी जाती है,जो कि उस विभाग से संबंधित हो अथवा उनके पास विेशेष अनुमति हो। ऐसे पुस्तकालयों का सदस्य सरकारी अथवा उक्त कार्यालय से संबंधित कर्मचारी ही हो सकता है। आज इंटरनेट पर भी अनेक पुस्तकों का संग्रह है जिसे  र्इ-लाइब्रेरी कहा जाता है। इस तरह कोर्इ भी व्यकित इंटरनेट के प्रयोग से किसी भी विषय पर अपनी जानकारी को बढ़ा सकता है। इससे समय और पैसे की भी बचत होती है। आज के इलेक्टानिक युग में लोग पुस्तकालय जाने के बजाय  र्इ-लाइब्रेरी का अधिकाधिक प्रयोग करने लगे हैं।प्रत्येक पुस्तकालय में पुस्तकों को उनके विषय तथा महत्ता के अनुरूप संग्रहित किया जाता है। हर पुस्तक को एक विशेष कूट संख्या से अंकित किया जाता है, ताकि उसे आसानी से खोजा तथा संग्रहित किया जा सके। हम पुस्तकालय में पुस्तकाध्यक्ष की अनुमति से अथवा सदस्य बनकर वांछित पुस्तक प्राप्त कर सकते हैं अथवा वहां बैठकर उक्त पुस्तक को पढ़ सकते हैं। वैसे स्थल जहां उच्च गुणवत्ता के विधालयों का अभाव है वहां पुस्कालयों की भूमिका और भी बढ़ जाती है। पुस्तकालय आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान स्वरूप होता है। निर्धन व्यकित या छात्र-छात्राएं भी यहां महंगी पुस्तकों का लाभ उठा सकते हैं।ऐसा देखा जाता है कि कर्इ शरारती तत्व पुस्तकालयों में पुस्तकों पर अनवांछित कथन लिख देते हैं या उन्हें क्षतिग्रस्त कर देते हैं। कर्इ बार तो अत्यन्त दुर्लभ पुस्तकें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस तरह हम अत्यन्त महत्व के पुस्तकों को नष्ट कर जाते हैं। अत: हमें पुस्तकालयों में पुस्तकों का लाभ लेते समय यह ध्यान देना चाहिए कि किसी भी कारण हमसे कोर्इ पुस्तक क्षतिग्रस्त न हों। हमारी जागरूकता और आपसी समझ कर्इयों के लिए वरदान साबित हो सकती है। पुस्तकालयों में महत्व के कारण ही विद्यालयों महाविद्यालयों एवं सरकारी कार्यालयों आदि में पुस्तकालयों का प्रचलन बढ़ा है। पुस्तकालय जाने के प्रति आज के युवा थोड़े असंवेदनशील हो गए हैं। अतः हमें अपने अतिरिक्त समय में पुस्तकालय अवश्य जाना चाहिए ताकि अनवरत हमारे ज्ञान का दायरा बढ़ता जाए।

manasisharma: please mark my answer as best
Answered by MichelleSJM
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Answer:

Explanation:

These days no one are interested in reading books because everything is replaced by technology with modern approaches. Example like e-books can be downloaded on smart phones, tablets and reading devices. Devices are very convenient as readers no longer need to carry heavy books.

 

Besides that, people also become lazy go to library because going to library is very time-consuming option as compare to internet. People are now becoming more dependent on search engines like Google, Bing, Yahoo or Baidu which to search and get the answers for their everyday queries. People find it easy to use and it is spontaneous.

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