लद्दाख में जनसंख्या एवं रहन-सहन का वर्णन कीजिए।
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लद्दाख परिचय : लद्दाख एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3,500 मीटर (9,800 फीट) से ऊंचा है। यह हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखला और सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है। करीब 33,554 वर्गमील में फैले लद्दाख में बसने लायक जगह बेहद कम है। यहां हर ओर ऊंचे-ऊंचे विशालकाय पथरीले पहाड़ और मैदान हैं। यहां के सभी धर्मों के लोगों की जनसंख्या मिलाकर 2,36,539 है।
ऐसा माना जाता है कि लद्दाख मूल रूप से किसी बड़ी झील का एक डूब हिस्सा था है, जो कई वर्षों के भौगोलिक परिवर्तन के कारण लद्दाख की घाटी बन गया। 18वीं शताब्दी में लद्दाख और बाल्टिस्तान को जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में शामिल किया गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद बाल्टिस्तान, पाकिस्तान का हिस्सा बना।
लद्दाख के पूर्वी हिस्से में लेह के आसपास रहने वाले निवासी मुख्यतः तिब्बती, बौद्ध और भारतीय हिन्दू हैं, लेकिन पश्चिम में कारगिल के आसपास जनसंख्या मुख्यत: भारतीय शिया मुस्लिमों की है। तिब्बत पर कब्जे के दौरान बहुत से तिब्बती यहां आकर बस गए थे। लद्दाख को चीन, तिब्बत का हिस्सा मानता है। सिन्धु नदी लद्दाख से निकलकर ही पाकिस्तान के कराची तक बहती है। प्राचीनकाल में लद्दाख कई अहम व्यापारिक रास्तों का प्रमुख केंद्र था।
लद्दाख मध्य एशिया से कारोबार का एक बड़ा गढ़ था। सिल्क रूट की एक शाखा लद्दाख से होकर गुजरती थी। दूसरे मुल्कों के कारवें के साथ सैकड़ों ऊंट, घोड़े, खच्चर, रेशम और कालीन लाए जाते थे जबकि हिन्दुस्तान से रंग, मसाले आदि बेचे जाते थे। तिब्बत से भी याक पर ऊन, पश्मीना वगैरह लादकर लोग लेह तक आते थे। यहां से इसे कश्मीर लाकर बेहतरीन शॉलें बनाई जाती थीं।
जनसंख्या : सन् 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू और कश्मीर की जनसंख्या 1,25,41,302 है। कश्मीर जहां मुस्लिम बहुल है, वहीं जम्मू में हिन्दू और सिख जबकि लद्दाख में बौद्धों की संख्या अधिक है। जम्मू और कश्मीर में मूल रूप से राजपूत, गुर्जर, ब्राह्मण, जाट और खत्री समूह के लोग रहते हैं, जो हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी। दूसरी ओर लद्दाख में मूल रूप से तिब्बती बौद्धों की संख्या अधिक है। यहां लगभग 64 प्रतिशत मुस्लिम; 33 प्रतिशत हिंदू और 3 प्रतिशत बौद्ध, सिख, ईसाई और अन्य निवास करते हैं। घाटी में 49 प्रतिशत मुसलमनों में शियाओं की संख्या घटकर 13 प्रतिशत रह गई है, जबकि हिन्दुओं को तो वहां से सुन्नियों ने खदेड़ दिया है। 1989 से जम्मू एवं कश्मीर राज्य में पाकिस्तान के छद्म युद्ध और सुन्नी आतंकवादी हिंसा ने 20000 निरापराध लोगों को मौत के घाट उतार दिया। कश्मीर घाटी और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के 7 लाख हिंदू और सिख अल्पसंख्यक विस्थापित हो चुके हैं। उनमें से कुछ जम्मू के शिविर में तो कुछ दिल्ली के शिविरों में शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं।