M
प्रश्न 44. वन कानूनों में बदलाव का आदिवासी समाज ने क्यों विरोध किया था?
Answers
Answered by
48
Answer:
बहुत सारे आदिवासी समूहों ने औपनिवेशिक वन कानूनों का विरोध किया। उन्होंने नए नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया और उन्हीं तौर-तरीकों से चलते रहे जिन्हें सरकार गैर-कानूनी घोषित कर चुकी है। ... 1906 में सोंग्रम संगमा द्वारा असम में और 1930 के दशक में मध्य प्रांत में हुआ वन सत्याग्रह इसी तरह के विद्रोह थे।
Answered by
0
वन कानून लागू होने से उनका जीवनयापन कठिन हो गया था इसलिए आदिवासी समाज ने इसका विरोध किया ।
- वन कानून से पहले तक सदियों से जंगल और वन्यजीवों के साथ साहचर्य के साथ रहते आए 'आदिवासियों 'और अन्य आबादियों को अतिक्रमणकारियों के रूप में देखा जाने लगा था। इस झूठे बात की पृष्ठभूमि अंग्रेजों ने लिख दी थी । अंग्रेजों के लिए जंगल की लकड़ियां इमारती वह वसाइट दोहन के लिए एक अकूत खजाने की तरह थी।
- इसी कारण आदिवासी समाज में 1 कानून को लेकर विद्रोह हो रहे थे।
- हालांकि जो कानून बनाए गए थे वह वन की रक्षा के लिए ही थे, लेकिन इस कानून ने आदिवासियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया था।
- उन्हें सरकार द्वारा उनके ही घरों से बाहर कर दिया गया था। और यह जमीन भी जमीदारों को खेती के लिए दे दी जाती थी और आदिवासियों को इन जमीनों पर कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता था।
- जंगल संबंधी नए कानूनों ने वनवासियों को एक और तरह से प्रभावित किया । वन कानूनों के पहले जंगलों में या उनके आसपास रहने वाले बहुत से रहने वाले लोग हिरन , तीतर जैसे:-छोटे-मोटे शिकार करके अपना जीवनयापन करते थे। यह पारंपारिक प्रथा अब गैरकानूनी हो गई थी।
- आदिवासियों में इस कानून के प्रति बहुत विद्रोह था।
For more questions
https://brainly.in/question/26970590
https://brainly.in/question/15605910
#SPJ3
Similar questions