“१९९२ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह ज़िला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।” इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
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उक्त कथन के माध्यम से लेखक पी० साईनाथ कहना चाहते हैं कि पुदुक्कोट्टई जिले की महिलाएं अब जागृत हो चुकी है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को पा लिया है। अपने साहस और कठिन परिश्रम के बल पर उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में अपने लिए सम्मान स्थापित किया है । अब यह जिला साइकिल आंदोलन के कारण प्रगति के रास्ते पर चल पड़ा है। अतः वर्ष ११९२ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद से पुदुक्कोट्टई ज़िला कभी भी अपने अतीत के समान निर्बल ,कमजोर और असहाय नहीं रहा। अब यह ज़िला उन्नति की राह पर चल पड़ा है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
उक्त कथन के माध्यम से लेखक पी० साईनाथ कहना चाहते हैं कि पुदुक्कोट्टई जिले की महिलाएं अब जागृत हो चुकी है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को पा लिया है। अपने साहस और कठिन परिश्रम के बल पर उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में अपने लिए सम्मान स्थापित किया है । अब यह जिला साइकिल आंदोलन के कारण प्रगति के रास्ते पर चल पड़ा है। अतः वर्ष ११९२ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद से पुदुक्कोट्टई ज़िला कभी भी अपने अतीत के समान निर्बल ,कमजोर और असहाय नहीं रहा। अब यह ज़िला उन्नति की राह पर चल पड़ा है।
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