'मै बीज हूँ' कविता
poeat ke saath
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Answer:
main viij hu
Explanation:
बीज हूँ मैं बीज हूँ,
फल से बनता बीज हूँ।
किसी में एक किसी में ज्यादा,
मुझसे बनता नन्हा पौधा।।
एक बीजीय आम है होता,
अनेक बीजीय तरबूज पपीता।
पानी मे जब डालो मुझको,
तब देखो क्या-क्या है होता।।
खराब जो है वह आते है ऊपर,
अच्छे रह जाते हैं नीचे।
अच्छे रह जाते हैं नीचे,
और वही अंकुरित हैं होते।।
मेरे बाहर कपड़े,
कहलाते हैं बीजचोल।
बीजपत्र कहलाते हैं,
जब तुम डालो मुझ को खोल।।
मुझको डाला मिट्टी में,
तब मुझमें से निकाला भ्रूण।
भ्रूण के होते हैं दो भाग,
आओ बतलाऊँ बात गूढ़।।
नीचे होता है मूलांकुर,
ऊपर होता है प्रांकुर।
प्रांकुर से बन गया तना और,
मूलांकुर से बन गयी जड़।।
था मैं पहले सबसे छोटा,
अब बन गया हूँ नन्हा पौधा।
सुन लो अब भी परिभाषा,
जो सुन ली है इतनी गाथा।
बीज से नन्हा पौधा बनना,
इसको अंकुरण है कहना।।
अंकुरण होता है कैसे,
इतना भी अब सुन लो आप।
मुझे चाहिए होता है,
हवा, पानी और उचित ताप।।
नन्हें पौधे से जो,
अब मैं थोड़ा बड़ा हुआ।
पत्तियों शाखाओं से,
तना है मेरा भरा हुआ।।
जल मिल जाता धरती से,
भोजन मिलता पत्ती से।
भोजन पाकर कुछ ही दिनों में,
मुझमे फूल है निकलता।।
फूल से बनता फल,
और फल से बीज है बनता।।
भोजन बनाकर मेरी पत्तियाँ,
देती है ऑक्सीजन।।
जीव जंतुओं के लिए,
यह गैस है उनका जीवन।
जब भी किसी जीव जंतु को,
चाहिए होता भोजन।
मेरे ही द्वारा वे करते,
अपना जीवन यापन।।
मै हूं बहुत जरूरी,
मुझको मत कटवाओ।
जीवन यापन के लिये,
पौधे खूब लगाओ।।
रचयिता
ऋचा मौर्य
Thanks thanks ❤