माँ बच्चे के मुँह में दूध की शीशी लगाती है ऐसा लेखक को कब और क्यों लगा
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अचानक जब बस चलते-चलते रुक गई तो पता चला कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है| तभी ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल निकालकर उसे पास में रखा और नली द्वारा इंजन में डालने लगा| तब लेखक ने व्यंग्य रूप में ऐसा कहा कि कंपनी के हिस्सेदार अब इंजन को गोद में बिठाकर शीशी से पेट्रोल पिलाएँगे एक माँ की तरह| यानी बस में अब चलने का दम नहीं था| उसका इंजन एकदम कमज़ोर व क्षीण हो चुका था| वास्तव में कंपनी के हिस्सेदार का बस के प्रति ऐसा लगाव व उसे न छोड़ने का मोह बहुत ही कठिनाइयों से देखने को मिलाता है कि बस की जर्जर अवस्था में भी वे उसे छोड़ने या त्यागने को तैयार नहीं हैं| हर संभव प्रयत्न से यह चाहते हैं कि वह निरंतर चलती रहे|
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