मैं चतूर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे
विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता
है और भगवान् की दया से वंचित हो जाता है।आशय स्पष्ट कीजिये
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very intelligent person I like it
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plzz tell the chapter name and also send the pic
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