Hindi, asked by spondita24, 7 months ago


"मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय
बार -बार के मुड़ते ,भेंडा न बैकुण्ठ जाय ||"
कबीर
-pls tell the meaning of this doha​

Answers

Answered by saibhanu16rl954463
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Answer:

भाव :माला जपना, गेरुआ वस्त्र धारण करना, तिलक लगाना, और नाना प्रकार के पाखंडों से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। इसी तरह से यदि बालों को काटने / मुंडवाने से ही यदि ईश्वर मिलता तो भेड़ के बाल तो वर्ष में कई बार काटे जातें हैं लेकिन क्या वह अमारपुर / स्वर्ग में जा पाती है ? इस दोहे में कबीर साहेब ने धर्म के नाम पर पाखण्ड और दिखावे पर चोट की है। लोग तरह तरह के भेष बना लेते हैं, कठोर तपस्या करके देह को दुःख देते हैं। कबीर साहेब ने स्पष्ट किया की आडम्बर, ढोंग और दिखावे की भक्ति से कोई लाभ नहीं होगा। इश्वर की प्राप्ति के लिए मन का पवित्र होना, आचरण की शुद्धता और मानवीय गुण होने चाहिए। फिर आप कहीं पर भी रहें इश्वर की प्राप्ति संभव है।

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