मेडिया-नही किनारे पानी पीने माना- मेमने को देखना- मुंह में पानी आना -क्किा बात के झगडना सेनाने को मार डालना - सीखा
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1950 का दशक मार्कण्डेयके साहित्यिकव्यक्तित्व का निर्माणकाल कहा जासकता है।इस दशकमें मार्कण्डेयदेशव्यापी परिवर्तनों के साक्षी बनेजिनके दायरेमें राजनीतिकमतों कीटकराहट, सामाजिकउथल–पुथल, जाति–विभाजनकी कड़वीसच्चाइयाँ, धर्म और संस्कृति कीरूढ़ियों परहोनेवाले प्रहारतथा दूसरीतरफ परम्परासमर्थकों कीएकबद्ध हिंसकप्रतिक्रिया आदि आते हैं। उससमय मार्कण्डेययुवा थेऔर अपनेसमवयस्कों से सहानुभूति और शक्तिग्रहण करनेके हामीथे, साथही, कुछआदर्श औरमूल्य भीअवश्य होंगेजिन्हें अपनानेऔर पानेका युवामार्कण्डेय ने प्रयास किया, याकम–अज–कम सपनादेखा। अचानकही देशमें ऐसायुवा वर्गप्रकट होगया थाजो स्वतन्त्रविचार कोतरजीह देताथा औररूढ़ियों कीकाट करताथा। असलमें वैचारिकस्वतन्त्रता और रूढ़ि–विरोध मुख्यरूप सेसमाज–चिन्तनएवं साहित्यके विषयहैं औरजो युवावर्ग केमाध्यम सेजीवन मेंअपने
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