Hindi, asked by sanjaykannan622, 1 month ago

* मूढ ैः पयियिखण्डेिुरत्नसांज्ञय षिधी्ते* अन्स्मन् िाक्ये कतणपृ दं ककम्?​

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Answered by Komal549
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Answer:

संघर्ष का दूसरा नाम है-जीवन। ये एक प्रकार से पर्यायवाची हैं और एक-दूसरे के पूरक भी। जीना तो उसी का है, जिसने जीवन के सूत्र को समझ लिया, भयंकर से भयंकर और विपरीत स्थिति पर विजय पाने का एक ही रास्ता है पूरे आत्मविश्वास के साथ बाधा-विरोधों से जूझ जाना, संघर्ष करना; जो संघर्ष से बचकर चले, वह कायर है। संसार रूपी सागर की ऊँची-उफनती लहरों को जिसने चुनौती देना सीख लिया है, सफलता की अनुपम-मणियाँ उसी ने बटोरी हैं। जो डर कर किनारे बैठ गया, वह तो जीवन का दाव ही हार गया। कबीर ने इसी भाव को इस तरह कहा है-

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