मृग कस्तूरी को जंगल में क्यों ढूँढता फिरता है ? इस दोहे के माध्यम से कवि क्या
कहना चाहता है?
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इस पंक्ति द्वारा कबीर यह संदेश देना चाहते हैं कि जैसे कस्तूरी मृग की नाभि में स्थित रहती है किन्तु मृग इस तथ्य को जानता नहीं और वह उसे जंगल में ढूँढ़ता फिरता है। उसी प्रकार परमात्मा मनुष्य के हृदय में स्थित है परन्तु वह उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे या अन्य तीर्थों पर खोजता फिरता है।
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kabi ka naam hai "Sant Kabir"
Explanation:
kabi iss dohe ke dwara hame yeh samjana chahte hain ki hmare bheetar hi bhagbaan vaas karte hain par hum unhe jangalon me, mandiron me doondhte rehte hain.
Kabir hame ek udhaaran dekar samjate hain ki jese ek mrag kastoori ki sugandh se mohit ho kar use poore jungle mein doondhta hain par beh ye ni janta ki voh sugandh uski hi naavi se aati hai!!
I hope it will help you
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