मंगल पांडे के बारे में जानकारी
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मंगल पांडे का नाम 'भारतीय स्वाधीनता संग्राम' में अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है, जिनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था. आज उनकी 192वीं जयंती है. उनका जन्म आज ही के रोज जन्म 1827 में 19 जुलाई को हुआ था. अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर समूची अंग्रेजी हुकूमत के सामने मंगल पांडे की शहादत ने भारत में पहली क्रांति के बीज बोए थे.
क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था. वे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में "34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री" की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे. भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी.
नारा 'मारो फिरंगी को'
“मारो फिरंगी को” नारा भारत की स्वाधीनता के लिए सर्वप्रथम आवाज उठाने वाले क्रांतिकारी “मंगल पांडे” की जुबां से निकला था. मंगल पांडे को आजादी का सर्वप्रथम क्रांतिकारी माना जाता है. 'फिरंगी' अर्थात् 'अंग्रेज़' या ब्रिटिश जो उस समय देश को गुलाम बनाए हुए थे, को क्रांतिकारियों और भारतियों द्वारा फिरंगी नाम से पुकारा जाता था. आपको बता दें, गुलाम जनता और सैनिकों के दिल में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए और लड़कर आजादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा गुंजाया गया था.
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मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है।
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