History, asked by nidhijainth979, 5 months ago

मुगल राज्य के उन नीतियों की व्याख्या करें जिसके द्वारा सुलह ए कुल के आदर्शों को लागू किया गया| answer me guyzzzzzzz plzzzz ​

Answers

Answered by vikashvikashtaank
0

Answer:

संत हर युग का दर्पण होते हैं। हमारा देश ऋषियों, संतों और सूफियों की भूमि रहा है। दधीचि, उद्दालक, आरुणि, ऋभू, निदाघ, स्वेतकेतु, भृगु, कश्यप, महावीर, बुद्ध, गुरुनानक आदि संतों की अनंत गाथाएं ग्रंथों में मिलती हैं। उनके बाद भी कबीर, मीरा, रज्जब, पल्टू साहेब, दादू, दूलनदास, सूरदास, यारी साहेब जैसे संतों और बाबा फरीद, हजरत निजामुद्दीन, बुल्लेशाह जैसे सूफियों ने सभी धर्र्मो का सत निकालकर दुखी लोगों के लिए मरहम बनाया। उन्होंने सद्भाव और प्रेम को अपनी शिक्षाओं में पहला स्थान दिया। सर्वधर्म मैत्री [सुलह-ए-कुल] सूफियों का मूल सिद्धांत रहा है। प्रसिद्ध सूफी शायर रूमी के पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा- एक मुसलमान एक ईसाई से सहमत नहीं होता और ईसाई यहूदी से। फिर आप सभी धर्मो से कैसे सहमत हैं? रूमी ने हंसकर जवाब दिया- मैं आपसे भी सहमत हूं। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने सुलह-ए-कुल का सिद्धांत दिया, जिसे अकबर ने प्रतिपादित किया। प्रसिद्ध शायर हाफिज लिखते हैं - हाफिज गर वस्ल ख्वाही, सुल्हा कुन बा खासो आम.बा मुसल्मा अल्ला अल्ला, बा बिरहमन राम राम। अर्थात हाफिज, अगर लोगों का प्रेम चाहिए तो जब मुसलमान के साथ रहो, तो अल्लाह-अल्लाह करो और जब ब्राहृमण के साथ रहो, तो राम-राम। भारत में स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत संतों ने ही की थी। सूफी फकीरों और डंडी संन्यासियों ने मिलकर 1760 में संन्यासी-फकीर विद्रोह किया था, जिसने अग्रेजी सम्राज्य की नींव हिला दी थी। इसका नेतृत्व मजनू शाह नामक सूफी मलंग ने किया था। यह विद्रोह बंगाल और बिहार में कई इलाकों में फैल गया और 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। संत साहित्य बहुत विशाल है, जिसमें सद्भाव के बीज छिपे हुए हैं। ये बीज जनमानस के दिलों में अंकुरित हों, फलें फूलें। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- हम उस प्रभु के सेवक हैं, जिन्हें अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं।

Similar questions