मे हिमालय बोल राहा हू निबंध
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bhai mai patanjali hu kase ho
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Explanation:
मैं हिमालय बोल रहा हूँ
हाँ मैं हिमालय बोल रहा हूँ ! दुनियाभर के सबसे उंचे पर्वतों में से एक !
मैं दो शब्दों से मिलकर बना हूँ हिम और आलय जिसका सम्पूर्ण अर्थ है बर्फ़ का घर।
मैं पूरे सालभर बर्फ़ मैं जमा रहता हूँ । देखा जाए मैं कोई एक पर्वत नहीं है बल्कि पर्वतों की लम्बी लड़ी हूँ जो भारत के उतरी भाग में स्थित हूँ । मेरी श्रुंखला भारत के इलावा पाकिस्तान ,भूटान ,तिब्बत और अफगानिस्तान तक फैली हुई हैं। वातावरण में हो रहे बदलाव के कारण यहां पर भूस्खलन और भूकंप की आशंका बढ़ गयी है जो खतरनाक साबित हो सकती है।मैं पर्वत की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवेरेस्ट (Mount Everest) हूँ ।
मुझे गिरीराज पर्वत के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है भगवान शिव का निवास। हिमालय पर्वत का महत्व प्राचीन काल से चला आ रहा है ऐसी मान्यता है के देवों के देव महादेव का निवास हिमालय पर्वत में ही है। इस विशाल पर्वतों के बीच बहुत सारे धार्मिक स्थल बने हुए हैं जैसे बदरीनाथ , केदारनाथ , अमरनाथ और हेमकुंट आदि हैं। यहां पर कुदरत अपनी ख़ूबसूरती बिखेरती है।
परन्तु इंसान के भारी खलन के चलते हिमालय की सुन्दरता को नुक्सान पहुंच रहा है यहां के वनों और पौधों को काटा जा रहा है बढ़ते तापमान के चलते मेरी बर्फ़ लगातार पिघल रही है, मेरी विनती है मुझे और इस वातावरण को संभालो नहीं तो सब ख़तम हो जायगा ।