मुहावरे और लोकोक्तिया का इस्तेमाल कर के एक कहनी या कविता लिखो.
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मुहावरों की कविता
मैं खाक छानता रहता हूँ,
तुम खून पसीना एक करो
मैं गिरगिट सा रंग बदलता हूँ,
काम जरा तुम नेक करो।
गद्दारों की खाट खड़ी जो करनी है,
चने दांतों तले चबवाएँगे
शत्रु छाती सांप भी लौटेगा,
उनके रेतों के महल गिराएंगे।
चेहरे का क्यूँ रंग उड़ा है,
क्या ग़म से चोली दामन का रिश्ता है
दीप तले तो रहता अंधेरा,
जौ के साथ घुन भी पिसता है।
मैं तीन में न मैं तेरह में,
क्यूँ चिकने घड़े पे पानी डाल रहा
नौ दो ग्यारह होता हूँ मैं अब,
क्यूँ निकाल मैं बाल की खाल रहा।
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